तेल के कुओं से लेकर हेल्थ सेक्टर तक...कुवैत में है भारतीय लोगों का दबदबा
कुवैत में भारतीय प्रवासी समुदाय की संख्या लगभग 10 लाख है. यह सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है. भारतीय समुदाय कुवैत के औद्योगिक, इलेक्ट्रॉनिक, इन्फ्रास्ट्रक्चर और इंजीनियरिंग फील्ड में व्हाइट कॉलर जैसे प्रोग्रेसिव जॉब सेक्टर में है.
भारत के कोई प्रधानमंत्री 43 साल बाद कुवैत दौरे पर जा रहे हैं. विदेश मंत्रालय ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21-22 दिसंबर को कुवैत दौरे पर जाएंगे, जहां उनका सेरेमोनियल स्वागत होगा. भारतीय विदेश मंत्रालय ने पीएम मोदी के कुवैत दौरे को लेकर कहा है कि, कुवैत के अमीर, महामहिम शेख मेशल अल-अहमद अल-जबर अल-सबा के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुवैत की यात्रा करेंगे. विदेश मंत्रालय ने कहा कि चार दशकों से ज्यादा समय के बाद यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की कुवैत की पहली यात्रा है, इसी वजह से यह काफी अहमियत रखती है.
भारत के प्रधानमंत्री का कुवैत दौरा बेशक इतने सालों के बाद हो रहा हो लेकिन दोनों देशों के बीच आपसी तालमेल हमेशा से अच्छा रहा है. भारत और कुवैत के बीच कई तरह की चीजों में साझेदारी है. काफी संख्या में भारतीय कामगार भी कुवैत में बसे हुए है. आलम कुछ ऐसा है कि भारतीय कामगार कुवैत से लौट आएं तो वहां की आम व्यवस्थाएं चरमरा सकती है.
कुवैत में भारतीय प्रवासी समुदाय
कुवैत में भारतीय प्रवासी समुदाय की संख्या लगभग 10 लाख है और यह सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है.भारतीय समुदाय कुवैत के औद्योगिक, इलेक्ट्रॉनिक, इन्फ्रास्ट्रक्चर और इंजीनियरिंग फील्ड में व्हाइट कॉलर जैसे प्रोग्रेसिव जॉब सेक्टर में है. कुवैत की हेल्थ मिनिस्ट्री और मेडिकल फील्ड में भी, भारतीय डॉक्टर और पैरामेडिक्स काम कर रहे हैं. हालांकि, कुवैत में अवैध तरीकों से रह रहे भारतीयों की भी एक बड़ी संख्या है. ये वहां लो बजट जॉब में हैं.
भारत और कुवैत संबंध एक नजर में
- 1981 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बाद ये किसी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला कुवैत दौरा होगा. यानी 43 साल बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री कुवैत पहुंच रहे हैं.
- इससे पहले साल 2009 में भारत के तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कुवैत का दौरा किया था, जो किसी भारतीय राजनेता का इंदिरा गांधी के दौरे के बाद से सबसे अहम कुवैत दौरा था.
- भारत और मध्य पूर्व के देशों के रिश्ते ऊर्जा सुरक्षा, सहयोग और कारोबार पर आधारित हैं.
- भले ही भारत और कुवैत के राष्ट्राध्यक्षों के दौरे सीमित रहे हैं लेकिन दोनों देशों के बीच मज़बूत कारोबारी और सांस्कृतिक रिश्ते रहे हैं.
- कुवैत में तेल मिलने से पहले ही भारत और कुवैत के बीच समुद्री रास्ते से कारोबार होता था.
- ऐतिहासिक रूप से दोनों देशों के बीच रिश्ते दोस्ताना रहे हैं. 1961 तक कुवैत में भारत का रुपया चलता था.
- भारत और कुवैत के बीच साल 1961 में राजनयिक संबंध स्थापित हुए थे. शुरुआत में भारत ने कुवैत में ट्रेड कमिश्नर नियुक्त किया था.
- भारत और कुवैत के बीच राजनेताओं के उच्च स्तरीय दौरे होते रहे हैं. 1965 में तत्कालीन उपराष्ट्रपति ज़ाकिर हुसैन ने कुवैत का दौरा किया था.
- साल 2013 में कुवैत के प्रधानमंत्री शेख जाबिर अल मुबारक अल हमाद अल सबाह ने भारत का दौरा किया था.
- इससे पहले साल 2006 में कुवैत के तत्कालीन अमीर शेख सबाह अल अहमद अल जाबेर अल सबाह भारत आए थे.
- भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अगस्त 2024 में कुवैत का दौरा किया जबकि कुवैत के विदेश मंत्री अब्दुल्लाह अली अल याह्या 3-4 दिसंबर को भारत आए.इस यात्रा के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कुवैत आने का न्यौता दिया.
- दोनों देशों के बीच कारोबार को बढ़ावा देने के लिए इसी महीने कुवैती विदेश मंत्री की भारत यात्रा के दौरान साझा सहयोग कमीशन (जेसीसी) भी स्थापित किया गया.