Benazir Bhutto: 18 घंटे पहले सब कुछ पता था फिर भी अपनी मौत क्यों नहीं रोक पाई बेनजीर भुट्टो?

पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री और जुल्फिकार अली भुट्टो की बेटी बेनजीर भुट्टो दुनिया की पहली मुस्लिम महिला प्रधानमंत्री थीं. महिलाओं को मजबूनत बनाने के अलावा कई अहम कामों के लिए बेनजीर भुट्टो को याद किया जाता है. आज यानी 21 जून को उनकी डेथ एनिवर्सरी है. इस मौके पर हम आपको उनके कत्ल का पूरा किस्सा बताने जा रहे हैं. कैसे सबकुछ पता होते हुए भी उन्हें बचाया नहीं जा सका.

Tahir Kamran
Tahir Kamran

Benazir Bhutto: पाकिस्तान में कई ऐसे सियासी लीडर रहे हैं जिन्हें कभी नहीं भुलाया जा सकता है. हालांकि पाकिस्तान के सभी टॉप लीडर अपनी किसी ना किसी बात से याद किए जाते रहते हैं लेकिन इनमें एक नाम बेनजीर भुट्टो ऐसा है जिसे बहुत ही इज्ज़त के साथ लिया जाता है. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो का आज 71वां जन्मदिन मनाया जा रहा है. 21 जून 1953 को कराची में जन्मी बेनजीर भुट्टो अपने पिता जुल्फिकार अली भुट्टो की तरह अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय राजनीति में एक अनोखी और प्रमुख हस्ती थीं.

बेनजीर भुट्टो ने रैडक्लिफ कॉलेज और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में उच्च शिक्षा के बाद ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र और दर्शनशास्त्र में डिग्री प्राप्त की. बेनज़ीर भुट्टो को अपने सियासी सफर की शुरुआत में बहुत मुश्किल और दर्दनाक हालत का सामना करना पड़ा, जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार को उखाड़ फेंकने और मार्शल लॉ लागू होने के बाद देश में रहना संभव नहीं था, इसलिए भुट्टो की बहादुर बेटी ने देश छोड़ दिया. देश ने लोकतांत्रिक संघर्ष जारी रखा.

Benazir Bhutto
Benazir Bhutto (Social Media)

विदेश से लौटीं पाकिस्तान

अप्रैल 1986 में बेनज़ीर भुट्टो अभूतपूर्व स्वागत के साथ पाकिस्तान लौटीं. 1988 के चुनावों में पीपुल्स पार्टी की कामयाबी के बाद बेनज़ीर भुट्टो मुस्लिम जगत की पहली महिला प्रधानमंत्री चुनी गईं, लेकिन 18 महीने बाद ही उनकी सरकार ख़त्म हो गई. नवंबर 1993 में वे दूसरी बार प्रधानमंत्री चुनी गईं लेकिन 1996 में पीपुल्स पार्टी के मनोनीत राष्ट्रपति ने सरकार ख़त्म कर दी. बेनजीर भुट्टो ने सत्ता में अपने कार्यकाल के दौरान महिलाओं को मजबूत बनाने समेत कई महत्वपूर्ण कदम उठाए.

Benazir Bhutto
Benazir Bhutto (Social Media)

एक बार फिर छोड़ा पाकिस्तान:

कथित जवाबी कार्रवाई के बाद बेनजीर भुट्टो फिर पाकिस्तान छोड़कर चली गईं और 26 दिसंबर 2007 को वो दोबारा पाकिस्तान लौटीं. अपनी जान को खतरा होने के बावजूद 18 अक्टूबर 2007 को कराची पहुंच गईं. 27 दिसंबर, 2007 को रावलपिंडी के लियाकत बाग में एक रैली के बाद उन पर जानलेवा हमला हुआ और वो इस दुनिया से रुख्सत हो गईं. लेकिन क्या आपको पता है कि बेनजीर भुट्टो और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के चीफ यह जानते थे कि उनपर हमला होने वाला है? अगर वो जानते थे तो फिर बेनजीर भुट्टो की जान क्यों नहीं बचाई गई? चलिए जानते हैं इन सवालों के जवाब.

Benazir Bhutto
Benazir Bhutto (Social Media)

ISI चीफ से मुलाकात में हुई देरी

26 दिसंबर 2007 की रात जब बेनजीर भुट्टो इस्लामाबाद के जरदारी हाउस पहुंचीं थीं तो उनके पास ISI अध्यक्ष मेजर नदीम ताज का संदेश पहुंचा कि उन्हें एक जरूरी मुद्दे पर बात करनी है. लेकिन बेनजीर भुट्टो बहुत थकी हुई थीं. ऐसे में उन्होंने कहा कि फैसला किया कि वह दो घंटे सोएंगी और देर रात ISI अध्यक्ष नदीम ताज से मिलेंगी. जिसके बाद यह मुलाकात रात डेढ़ बजे हुई और इसी मुलाकात के दौरान ISI अध्यक्ष ने बेनजीर को बता दिया था कि उस दिन उको मारने की कोशिश की जाएगी.

सबकुछ पता है तो गिरफ्तार क्यों नहीं करते

बीबीसी उर्दू ने अपनी रिपोर्ट में ओवेन बेनेट-जोन्स की किताब 'द भुट्टो डायनेस्टी: द स्ट्रगल फॉर पावर इन पाकिस्तान' के हवाले लिखा कि बेनजीर भुट्टो ने नदीम से पूछा कि अगर अपने सूत्रों पर इतना भरोसा है तो फिर हमलावरों को गिरफ्तार क्यों नहीं करते? इसके जवाब में ISI अध्यक्ष ने  कहा,'यह मुमकिन नहीं है, क्योंकि इससे उनके संसाधनों का रहस्य खुल जाएगा.' इसके बाद बेनजीर भुट्टो ने कहा कि आप न सिर्फ मेरी बल्कि मेरे लोगों की भी सुरक्षा को यकीनी बनाए. जिसके बाद ISI चीफ ने कहा कि हम पूरी ताकत लगा देंगे. 

Benazir Bhutto
बेनजीर भुट्टो का जनाजा ले जाने का मंजर (Social Media)

कैसे हुई कत्ल की साजिश

एक तरफ यहां जब भुट्टो और ISI चीफ की मुलाकात चल रही थी वहीं दूसरी तरफ बेनजीर के कत्ल की तमाम तैयारियों को आखिरी शक्ल दी जा रही थी. किताब के मुताबिक आधी रात के बाद, तालिबान हैंडलर नसरुल्ला दो पंद्रह वर्षीय बच्चों, बिलाल और इकरामुल्ला के साथ रावलपिंडी पहुंचे थे. इस बीच, तालिबान के दो अन्य सदस्य, हसनैन गुल और रफाकत हुसैन, रावलपिंडी में लियाकत बाग का निरीक्षण करने आए थे, जहां बेनजीर भुट्टो शाम को एक रैली को संबोधित करने वाली थीं. उस समय पुलिस तीनों उन सभी की चैकिंग की लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था. क्योंकि योजना यह थी कि जब बेनजीर रैली से लौट रही होंगी तो उन पर हमला किया जाएगा.'

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Benazir Bhutto (Social Media)

समर्थकों की भीड़ से घिरीं भुट्टो

बस फिर क्या था कातिल वक्त रहते उस गेट पर पर पहुंच गया जो निकलते वक्त बेनजीर भुट्टो इस्तेमाल करने वाली थी. बेनजीर भुट्टो ने यहां पर तकरीबन 10 हजार लोगों के सामने आधे घंटे तक भाषण दिया. भाषण खत्म होते ही पूरा इलाका 'बेनजीर जिंदाबाद' और 'बेनजीर प्रधानमंत्री' के नारों से गूंज उठा. भाषण के बाद बेनजीर अपनी कार में बैठ गईं. समर्थकों द्वारा उन्हें घेरे रहने के कारण उनकी कार काफी देर तक रुकी रही.

धरी रह गई सारी सिक्योरिटी

बिलाल नामी कातिल जो पहले से ही इंतजार कर रहा था, वो बेनजीर की कार के सामने गया और फिर उनकी तरफ पहुंचा जहां कम लोग थे. उसने अपनी पिस्तौल निकाली और बेनज़ीर के सिर पर निशाना साधा. एक सुरक्षा गार्ड ने बिलाल को रोकने की कोशिश की. हालांकि वो कामयाब नहीं हो पाया सिर्फ कातिल के हाथ को ही छू सका था. बिलाल ने एक सेकंड से भी कम समय में तीन गोलियां चलाईं. तीसरी गोली लगते ही बेनजीर अपनी कार की सीट पर गिर गईं. उनके गिरते ही बिलाल ने भी आत्मघाती बम धमाका कर दिया और पाकिस्तान खुफिया एजेंसी ISI की सारी सिक्योरिटी धरी रह गई.

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कत्ल से पहले बेनजीर भुट्टो की गाड़ी का मंजर (Social Media)

फटे टायर के साथ चलाई ड्राइवर ने गाड़ी

हैरानी की बात तो यह है कि वहां पर एक भी एंबुलेंस मौजूद नहीं थी और आत्मघाती बम धमाके की वजह से उनकी गाड़ी चारों टायर फट गए थे. उसके बावजूद उनका ड्राइवर गाड़ी को इसी हालत में अस्पताल ले जाने की कोशिश करने लगा लेकिन गाड़ी ज्यादा दूर तक नहीं जा सकी. क्योंकि सामने भी कुछ लाशें और जख्मी लोग पड़े हुए थे. इसके बाद एक जीप में बेनजीर भु्ट्टो को अस्पताल ले जाया गया. लेकिन जिस हालत में बेनजीर भुट्टो अस्पताल पहुंची थी वो पहले ही मर चुकी थीं. 

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21 June 2024, 10:58 AM IST

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