'ताइवान को चीन में मिलने से कोई ताकत नहीं रोक सकती...' नए साल पर जिनपिंग ने दी धमकी
नए साल 2025 के संबोधन में शी जिनपिंग ने कहा कि 'ताइवान जलडमरूमध्य के दोनों ओर रहने वाले हम चीनी एक परिवार हैं, हमारे बीच रिश्तेदारी के बंधन को कोई कभी नहीं तोड़ सकता', इसके साथ ही उन्होंने ताइवान के एकीकरण की भी बात की.
China-Taiwan Conflict: दुनियाभर में जब नए साल का स्वागत शांति और सद्भाव की दुआओं के साथ हो रहा था, तब चीन ने अपनी आक्रामक रणनीति जारी रखते हुए ताइवान को लेकर बड़ा बयान दिया. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने नववर्ष संदेश में ताइवान को चीन के साथ फिर से जोड़ने की प्रतिबद्धता जताई. उन्होंने कहा, ''ताइवान जलडमरूमध्य के दोनों किनारों पर रहने वाले हम चीनी एक ही परिवार हैं. हमारे रिश्तों को कोई ताकत कभी खत्म नहीं कर सकती.''
'एक चीन' नीति और ताइवान पर फोकस
आपको बता दें कि चीन लंबे समय से ताइवान को अपनी मुख्य भूमि का हिस्सा मानता है और 'एक चीन' नीति के तहत इसे अपने राजनयिक और सैन्य एजेंडे का हिस्सा बनाता आया है. शी जिनपिंग ने अपने तीसरे कार्यकाल में ताइवान को चीन के साथ दोबारा मिलाने को प्राथमिकता दी है. इसे वे अपनी प्रमुख कूटनीतिक और सामरिक रणनीति का अहम हिस्सा मानते हैं.
वैश्विक स्थिरता और विदेश नीति पर जोर
वहीं आपको बता दें कि अपने संदेश में शी ने चीन की वैश्विक जिम्मेदारियों पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि चीन विश्व शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है. शी ने 'ग्लोबल साउथ' के देशों के साथ सहयोग को मजबूत करने और वैश्विक शासन में सुधार लाने की बात कही. उन्होंने कहा, ''परिवर्तन और चुनौतियों से भरी इस दुनिया में चीन एक जिम्मेदार देश के रूप में समाधान खोजने में योगदान दे रहा है.''
आर्थिक स्थिति पर जनता को भरोसा दिलाने का प्रयास
बता दें कि कोविड-19 महामारी के बाद चीन की अर्थव्यवस्था ने कई चुनौतियों का सामना किया, जिसमें रियल एस्टेट संकट और बेरोजगारी प्रमुख मुद्दे रहे. शी ने 2024 में चीन के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) को 130 ट्रिलियन युआन तक पहुंचाने और अनाज उत्पादन में वृद्धि की बात कही. उन्होंने इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्यात को बढ़ाने का भी उल्लेख किया, हालांकि अमेरिका और यूरोपीय संघ के आयात शुल्क इसमें बाधा बन रहे हैं.
डोनाल्ड ट्रंप की वापसी बनी चुनौती
इसके अलावा आपको बता दें कि शी जिनपिंग के सामने डोनाल्ड ट्रंप की संभावित वापसी एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है. ट्रंप ने पहले कार्यकाल में चीन पर भारी आयात शुल्क लगाया था और हालिया चुनाव प्रचार में इसे और बढ़ाने की धमकी दी है. ट्रंप ने चीनी तकनीकी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने और कोविड-19 के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराने जैसे मुद्दों को भी जोर-शोर से उठाया.