गाजा में कत्ले आम का हिस्सेदार बना गूगल? इजरायली के साथ किया समझौता, विरोध करने वाले 28 लोगों को निकाला
गूगल ने अपने 28 कर्माचारियों को बाहर रास्ता दिखा दिया है. बताया जा रहा है कि ये कर्मचारी गूगल और इजरायली फौज के बीच होने वाले समझौते का विरोध कर रहे थे.
Google and Israel Deal: गूगल ने फिलिस्तीन की हिमायत और इजरायल का विरोध करने वाले 28 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है. दरअसल ये कर्मचारी गूगल और इजरायली सरकार के बीच होने वाले 1.2 अरब डॉलर के एक बड़े समझौते का विरोद कर रहे थे. जिसके बदले में कंपनी ने उन्हें ही नौकरी से निकाल दिया. साथ ही कहा कि यह कंपनी की पॉलिसी के खिलाफ है. बताया जा रहा है कि इन कर्मचारियों ने अपनी ही कंपनी के खिलाफ प्रदर्शन भी किया था. जिसके बाद कंपनी ने यह कदम उठाया है.
खबरों के मुताबिक 16 अप्रैल को इन कर्मचारियों ने प्रदर्शन करते हुए मांग की थी कि गूगल को इजरायली सरकार और फौज के साथ कारोबार खत्म करना चाहिए.कर्माचरियों की मांग थी कि गूगल को चाहिए कि वो फिलिसीतनियों के कत्ल-ए-आम की हिस्सेदार ना बने. इससे पहले 9 मार्च, 2024 को भी गूगल ने एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर को नौकरी से निकाल दिया था. क्योंकि उसने न्यूयॉर्क में कंपनी द्वारा आयोजित एक इजरायली तकनीकी कार्यक्रम के दौरान फिलिस्तीन के पक्ष में नारे लगाए थे.
#Google Employees Occupy Offices: 'No $1.2B for Israeli Occupation Military'
— Siraj Noorani (@sirajnoorani) April 18, 2024
Google #terminated 28 employees following protests against #ProjectNimbus, a $1.2 billion joint contract with #Amazon to provide the #Israeli govt with #AI & cloud services. (1/3) pic.twitter.com/Ae8BD1JTwP
गूगल ने क्या कहा?
कंपनी ने अपने बयान में कहा, “एक जांच के बाद, आज हमने 28 कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया. हम जांच करना जारी रखेंगे और आवश्यकतानुसार कार्रवाई करेंगे. गूगल का कहना है कि इन लोगों ने दफ्तरों पर कब्जा किया, हमारी जायदाद को नुकसान पहुंचाया और अन्य कर्मचारियों के काम में शारीरिक रूप से बाधा डाली." खबरों के मुताबिक गूगल ने पहले इन कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया था और फिर दफ्तर के काम-काज तक उनकी पहुंच की सीमित कर दिया था.
क्या है पूरा मामला?
इजरायली फौज, सरकार और गूगल के बीच एक बड़ा समौझाता होने जा रहा है. जिसका नाम 'प्रोजेक्ट निंबस' है. इस समझौते के तहत गूगल इजरायली सरकार और फौज को क्लाउड सुविधाएं मुहैया कराएगा. जिसके खिलाफ कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया था. कर्मचारियों का मानना है कि गूगल इजराइल की मदद करके फिलिस्तीनियों का नरसंहार में हिस्सेदार बन रही है. इसीलिए 16 अप्रैल को, न्यूयॉर्क शहर, सिएटल और सनीवेल, कैलिफोर्निया, न्यूयॉर्क में Google के दफ्तरों पर कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया. जो तकरीबन 10 घंटे चला.
यहां यह बात गौर करने लायक है कि कुछ दिन पहले खबर आई थी कि इजरायली सरकार और सैना गाजा में फ़िलिस्तीनियों के नरसंहार के लिए AI का सहारा ले रही है. पिछली रिपोर्ट्स के मुताबिक इजरायली फौज चेहरे की पहचान के लिए टॉप सॉफ्टवेयर इस्तेमाल कर रहा है. दावा यह भी था कि इस सॉफ्टवेयर के ज़रिए किसी भी इंसान को के जज्बात और एहसास का भी पता लगाया जा सकता है.