नेपाल में गिरी सरकार, विश्वास मत हासिल करने में नाकाम रहे पुष्प कमल दहल, छोड़ा पद

Nepal Government: नेपाली संसद के अध्यक्ष देव राज घिमिरे के अनुसार, दहल के पक्ष में 63 वोट पड़े, जबकि 194 अन्य सदस्यों ने उनके खिलाफ मतदान किया, जिससे उन्हें सत्ता में बने रहने के लिए आवश्यक बहुमत नहीं मिल सका. पिछले सप्ताह 3 जुलाई को  सीपीएन (यूएमएल) द्वारा समर्थन वापस लेने और नेपाली कांग्रेस के साथ मिलकर नया गठबंधन बनाने के बाद  दहल को विश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

JBT Desk
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Nepal Government: नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल उर्फ ​​प्रचंड शुक्रवार को संसद में विश्वास मत हार गए, क्योंकि उनकी सरकार में सबसे बड़ी पार्टी, नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी) ने समर्थन वापस ले लिया. विश्वास मत में हार के बाद 69 वर्षीय नेता को सत्ता में 19 महीने रहने के बाद पद छोड़ना पड़ा. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दहल को शुक्रवार को संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा के आधे से ज़्यादा सदस्यों का समर्थन नहीं मिल पाया, जो वोट जीतने के लिए ज़रूरी था. 

दहल के पक्ष में 63 वोट पड़े

नेपाली संसद के अध्यक्ष देव राज घिमिरे के अनुसार, दहल के पक्ष में 63 वोट पड़े, जबकि 194 अन्य सदस्यों ने उनके खिलाफ मतदान किया, जिससे उन्हें सत्ता में बने रहने के लिए आवश्यक बहुमत नहीं मिल सका. पिछले सप्ताह 3 जुलाई को पूर्व प्रधानमंत्री के.पी शर्मा की अगुवाई वाली सीपीएन-यूएमएल  सीपीएन (यूएमएल) द्वारा समर्थन वापस लेने और नेपाली कांग्रेस के साथ मिलकर नया गठबंधन बनाने के बाद  दहल को विश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए मजबूर होना पड़ा. इस बीच अब गठबंधन के अनुसार, कम्युनिस्ट पार्टी के नेता खड्ग प्रसाद ओली नेपाल के नए प्रधानमंत्री होंगे. 

पांच बार संसद में किया विश्वास मत हासिल 

दिसंबर 2022 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही दहल एक अस्थिर गठबंधन का नेतृत्व कर रहे थे, क्योंकि  चुनाव में उनकी पार्टी तीसरे स्थान पर रही थी. लेकिन उन्होंने एक नया गठबंधन बनाया और उसके नेता और प्रधानमंत्री बन गए. अपने गठबंधन सहयोगियों के बीच मतभेद के कारण दहल को नेता बनने के बाद से पांच बार संसद में विश्वास मत हासिल करना पड़ा. वहीं 2006 में उनके माओवादी समूह द्वारा सशस्त्र विद्रोह समाप्त कर मुख्यधारा की राजनीति में शामिल होने के बाद से यह हिमालयी राष्ट्र के प्रधानमंत्री के रूप में उनका तीसरा कार्यकाल था. 

पुष्प कमल दहल का सियासी सफर

दहल ने 1996 से 2006 तक हिंसक माओवादी कम्युनिस्ट विद्रोह का नेतृत्व किया है. इसमें 17,000 से अधिक लोग मारे गए तथा कई अन्य लोगों की स्थिति अज्ञात बनी हुई है. माओवादियों ने अपना सशस्त्र विद्रोह त्याग दिया, 2006 में संयुक्त राष्ट्र सहायता प्राप्त शांति प्रक्रिया में शामिल हो गये और मुख्यधारा की राजनीति में प्रवेश कर गए. दहल की पार्टी ने 2008 में सबसे अधिक संसदीय सीटें हासिल कीं और वह प्रधानमंत्री बने, लेकिन राष्ट्रपति के साथ मतभेदों के कारण एक साल बाद उन्होंने पद छोड़ दिया.

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12 July 2024, 07:03 PM IST

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