रूस और अमेरिका की बढ़ती दोस्ती, क्या ट्रंप चीन को जवाब देने की कर रहे हैं तैयारी?
हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने फैसलों से यह संकेत दिया है कि वे रूस के साथ अपनी करीबी बढ़ा सकते हैं, और इसका उद्देश्य चीन को चुनौती देना हो सकता है. ट्रंप का यह कदम 1970 के दशक में अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन की नीति के समान हो सकता है, जब उन्होंने चीन के साथ रिश्ते सुधारने के लिए सोवियत संघ से दूरी बनाई थी. ट्रंप के रूस से बढ़ते संपर्कों के पीछे एक बड़ी रणनीति हो सकती है, जिसमें रूस को चीन से अलग करने की कोशिश की जा रही हो.

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 28 फरवरी को ओवल ऑफिस में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के साथ बातचीत में यूक्रेन को लेकर कड़ा रुख अपनाया. दोनों देशों की बातचीत ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब अमेरिका रूस को यूक्रेन के मुद्दे पर ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहा है. जब मीडिया ने ट्रंप से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बारे में पूछा, तो उन्होंने पुतिन को सहानुभूतिपूर्ण बताया.
हाल ही में ट्रंप ने रूस के राष्ट्रपति से फोन पर बात की और अमेरिकी अधिकारी लगातार रूस से संपर्क कर रहे हैं, खासकर यूक्रेन युद्ध के बारे में. विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप रूस को अपने पक्ष में लाकर चीन के खिलाफ एक बड़ी रणनीति बना रहे हैं. यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन द्वारा 1970 के दशक में चीन के साथ रिश्ते सुधारने की नीति जैसा हो सकता है. तब निक्सन ने रूस को अलग करने और अमेरिका-चीन संबंधों को सामान्य करने का कदम उठाया था, जिससे सोवियत संघ और चीन के बीच दूरी बढ़ गई थी.
चीन को झटका देने की तैयारी कर रहे हैं ट्रंप?
अब ट्रंप रूस को चीन से दूर कर रहे हैं. अमेरिका के लिए रूस और ईरान से ज्यादा बड़ी चुनौती चीन बन गई है. चीन हर क्षेत्र में अमेरिका को चुनौती दे रहा है. उसकी अर्थव्यवस्था लगातार बढ़ रही है, और सैन्य ताकत भी मजबूत हो रही है. इसके अलावा, चीन अपनी कूटनीति को भी बढ़ा रहा है, जैसे सीरिया और फिलीस्तीन के मुद्दों पर उसने मुखर होकर अपनी राय दी है. चीन रूस का सबसे बड़ा व्यापारिक साथी है, और ट्रंप को लगता है कि यदि इस समय रूस-चीन की दोस्ती नहीं टूटी, तो चीन किसी भी वक्त अमेरिका को पीछे छोड़ सकता है.
रूस की सैन्य ताकत जरूर
रूस की सैन्य ताकत जरूर चीन से बड़ी है, लेकिन उसकी अर्थव्यवस्था उतनी मजबूत नहीं है कि वह अमेरिका को चुनौती दे सके. अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने रूस पर कई प्रतिबंध लगाए हैं. वहीं, चीन लगातार विकास कर रहा है और हर क्षेत्र में बढ़ता जा रहा है. अब यह देखना होगा कि अमेरिका और रूस की बढ़ती दोस्ती चीन को हराने के लिए मददगार साबित होती है या नहीं.