हमास के पास सिर्फ दो विकल्प: इजरायली राजदूत ने गाजा में नरसंहार की तरफ किया इशारा, आने वाले दिन और खतरनाक
इजरायली राजदूत रियूवेन अजार ने कहा कि हमास द्वारा गाजा में नियंत्रण बनाए रखने का प्रयास अवैध हैं, वे किसी भी कीमत पर गाजा से बाहर चले जाएं. इजरायल की योजना है कि यदि हमास कूटनीतिक समाधान के लिए सहयोग नहीं करता है, तो इजरायल गाजा में पूरी तरह से सैन्य अभियान चलाएगा और आतंकवादियों को वहां से समाप्त कर देगा.

Israel-Hamas War: इजरायल के राजदूत रियूवेन अजार ने कहा कि हमास शांति नहीं चाहता है, इसका प्रमाण उसके द्वारा बंधकों को मुक्त करने से इनकार करना है. उन्होंने कहा कि हमास ने अमेरिकी मध्यस्थ के प्रस्तावों को बार-बार नकारा है और बंधकों को रिहा करने से पूरी तरह मना कर दिया है. इस स्थिति में, इजरायल के पास अब एक ही विकल्प है और वह है सैन्य दबाव का सहारा लेना.
अजार ने मीडिया को दिए एक बयान में कहा कि गाजा में हमास के कब्जे को समाप्त करने तक सैन्य अभियान जारी रहेगा. इजरायल और हमास के बीच 42 दिन की अस्थायी युद्धविराम की सहमति अब समाप्त हो चुकी है. हमास ने बंधकों को मुक्त करने के अपने वादे से मुंह मोड़ लिया है, जो कि समझौते का उल्लंघन है. इस पर अजार ने कहा कि इजरायल के पास अब कोई अन्य रास्ता नहीं है, केवल सैन्य दबाव ही शेष है.
हमास पर सैन्य दबाव ही विकल्प
राजदूत ने यह भी बताया कि शांति तभी संभव है जब हमास समझौते की शर्तों को स्वीकार करे, जिनमें सभी बंधकों की रिहाई और खुद को सैन्य हमलों के लिए सशस्त्र करने से रोकना शामिल है. हालांकि, हमास ने दोनों शर्तों को नकार दिया और बंधकों को छोड़ने से इंकार कर दिया. इसकी वजह से इजरायल को अब सैन्य दबाव का ही सहारा लेना पड़ा है. अजार ने कहा कि सैन्य दबाव प्रभावी है और इसी दबाव के कारण पहले 195 बंधकों को रिहा किया गया था.
इजरायल को कोई नहीं रोक सकता- अजार
अमेरिका ने इजरायल के प्रयासों का पूरी तरह समर्थन किया है और गाजा में आतंकवादियों को समाप्त करने की कोशिशों को प्रोत्साहित किया है. अजार ने कहा कि अगर कूटनीतिक समाधान नहीं निकलता है तो इजरायल सैन्य समाधान को अपनाएगा. उन्होंने कहा कि दुनिया भर में आलोचनाएं इजरायल के प्रयासों को प्रभावित नहीं कर सकतीं, क्योंकि गाजा में एक आतंकवादी संगठन है जो बंधकों को पकड़कर रखे हुए है.
अजार ने अंत में यह भी कहा कि इजरायल में रमजान के दौरान 75,000 से अधिक मुसलमान हर दिन जेरूसलम में प्रार्थना करने आते हैं और इजरायल धार्मिक स्वतंत्रता का समर्थन करता है.