हमास ने मानी हार तो इजरायल ने भी दिखाया रहम! सवा साल बाद थमने जा रहा युद्ध
पश्चिम एशिया में जारी सवा साल से अधिक समय से चले आ रहे युद्ध के खत्म होने के आसार नजर आ रहे हैं. इजरायल और हमास के बीच एक समझौते पर चर्चा चल रही है, जिसके तहत युद्धविराम और बंधकों की रिहाई की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है.
हमास और इजरायल के बीच सवा साल से चल रहे युद्ध अब खत्म होने के काहर पर हैं. इजरायल और हमास के बीच एक समझौते पर चर्चा हो रही है, जिसमें युद्धविराम और बंधकों की रिहाई को लेकर महत्वपूर्ण प्रगति हुई है. रिपोर्ट के अनुसार, दोनों पक्षों के वार्ताकारों के बीच डील अंतिम रूप में है, और इसे अनुमोदन के लिए दोनों पक्षों के नेताओं के पास भेजा जा चुका है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूत स्टीव विटकॉफ ने भी इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इजरायल और हमास के बीच समझौते के मसौदे को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया तेज हो गई है और आने वाले दिनों में इसका परिणाम सामने आ सकता है.
युद्ध विराम और बंधकों की रिहाई पर चर्चा
समझौते के पहले चरण में 33 बंधकों की रिहाई की संभावना जताई गई है. इस समझौते के तहत गाजा में संघर्ष समाप्त करने के लिए दोनों पक्षों ने सहमति जताई है. कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी के साथ बैठक के बाद हमास ने बताया कि बातचीत अच्छी दिशा में बढ़ रही है. अधिकारी ने बताया कि युद्धविराम की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है और इसे अंतिम रूप देने के लिए दोनों पक्षों के नेता अगले 24 घंटे में निर्णय लेंगे.
हमास पर बढ़ा दबाव
कतर और अमेरिका के मध्यस्थों ने हमास पर समझौते को स्वीकार करने के लिए दबाव बनाया है. वार्ता में शामिल अधिकारियों के अनुसार, दोनों पक्ष इस समझौते पर 20 जनवरी से पहले पहुंचने का लक्ष्य रखते हैं, जब ट्रंप के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने का समय आएगा. हालांकि, बातचीत के कुछ मुद्दे अभी भी हल होने बाकी हैं, लेकिन दोनों पक्षों के बीच की दूरियां कम होती जा रही हैं.
समझौते की उम्मीदें
इस समझौते से न सिर्फ युद्ध समाप्त हो सकता है, बल्कि गाजा में बंधकों की रिहाई और मानवीय सहायता में वृद्धि भी हो सकती है. हालांकि, इस समझौते को लेकर अभी कुछ बारीकियां हल करनी बाकी हैं, लेकिन एक बात स्पष्ट है कि युद्ध विराम के समझौते को लेकर सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं. अगर यह समझौता सफल होता है तो यह पश्चिम एशिया में शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है.