Bangladesh Crisis: बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर बीते दिन हुई हिंसा ने सरकार का तख्तापलट और शेख हसीना को प्राधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर दिया. ऐसे में अब देश में नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली नई अंतरिम सरकार है. इस बीच पड़ोसी देश में हुई सियासी हलचल का असर भारत में भी देखने को मिल रहा है. इस बीच एक तरफ जहां बॉर्डर पर चुनौतियां बढ़ गई हैं तो वहीं बांग्लादेश में हुए इस घटनाक्रम के बाद आतंकवादी संगठनों के एक्टिव होने का खतरा भी बढ़ गया है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे कयास इसलिए लगाए जा रहे हैं क्योंकि भले ही बांग्लादेश में शेख हसीना की सत्ता को उखाड़ने का माहौल छात्रों ने बनाया हो. लेकिन कई खुफिया रिपोर्ट ये दावा करती हैं कि इस हिंसा के पीछे आतंकवादी संगठनों का हाथ था, जिनकी साजिश बांग्लादेशी हिंदुओं के खिलाफ भी थी.
एक रिपोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) ने कथित तौर पर भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के लिए बांग्लादेश की अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) के साथ साझेदारी की है. खुफिया सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) ने बांग्लादेश में हुए इस सत्ता परिवर्तन और हिंसा में अपनी अहम भूमिका निभाई है. इसमें जमात-ए-इस्लामी और एबीटी समेत अन्य आतंकवादी समूहों का समर्थन प्राप्त था. रिपोर्ट से पता चलता है कि एबीटी और एलईटी के बीच 2022 में एक सहमति बनी थी, जिसका उद्देश्य भारत में आतंकी हमले को अंजाम देना था.
1-अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी), 2-अंसार अल-इस्लाम, 3-लश्कर-ए-तैयबा ( एलईटी ), 4-हरकत-उल-जिहाद अल-इस्लामी बांग्लादेश (हूजी-बी), 5-जगराता मुस्लिम जनता बांग्लादेश (जेएमजेबी) 6-जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी), 7-पुरबा बांग्लार कम्युनिस्ट पार्टी (पीबीसीपी), 8-इस्लामी छात्र शिबिर (आईसीएस), 9-इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस)
दरअसल, बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना ने इन आतंकी संगठनों पर अंकुश लगाने के लिए कई ठोस कदम उठाए थे. हाल ही में जब बांग्लादेश में छात्रों का प्रदर्शन जारी था, तब भी शेख हसीना ने कहा था कि इन हिंसक विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व छात्रों ने नहीं बल्कि आतंकवादियों ने किया था. शेख हसीना ने जमान-ए-इस्लामी जैसे कई संगठनों को बैन किया था.
First Updated : Monday, 12 August 2024