कौन था नसरुल्लाह? गरीब परिवार और 9 भाई-बहनों में से निकलकर कैसे बना 'चीफ'
हसन नसरुल्लाह को इजरायल ने मार गिराया है. शुक्रवार को इजरायल की तरफ से किए गए हमलों में हसन नसरुल्लाह और उसकी बेटी को मारे जाने की खबर है. हसन नसरुल्लाह के मारने जाने की खबर खुद इजरायली फौज ने दी है. इस मौके पर हसन नसरुल्लाह के जीवन से जुड़ी कुछ अहम बातें हम आपको बताने जा रहे हैं.
Hassan Nasrallah: हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरुल्लाह को इजरायल ने मार गिराया है. शुक्रवार को इज़रायली हमलों की एक सीरीज ने दक्षिण बेरूत में हिज़्बुल्लाह के मुख्य गढ़ पर हमला किया, जिसमें हसन नसरुल्लाह की मौत हो गई. बताया जा रहा है कि इस हमले में हसन नसरुल्लाह की बेटी की मौत हुई है. नसरल्लाह को अपने शिया समर्थकों के बीच बहुत सम्मान हासिल है. उनका ग्रुप लेबनानी राष्ट्रीय सेना की तुलना में कहीं ज्यादा खतरनाक और ज्यादा उन्नत हथियारों के भंडार से लैस है और वे लेबनानी संस्थानों को कंट्रोल करता था.
छुपकर रहता था नसरुल्लाह:
बहुत कम लोगों की राय है कि उन्हें पता है कि नसरुल्लाह कहां रहता था. हाल के वर्षों में नसरुल्लाह से मिलने वाले अधिकारियों और पत्रकारों ने कड़े सुरक्षा उपायों के बारे में बताया है जिससे उन्हें यह जानने से रोका जा सके कि उसे कहां ले जाया जा रहा है. पिछले दो दशकों में उनके अधिकांश भाषण गुप्त स्थान से रिकॉर्ड और प्रसारित किए गए हैं.
हसन नसरुल्लाह 1992 में सिर्फ 32 साल की उम्र में हिजबुल्लाह का महासचिव चुना गया था जब एक इजरायली गनशिप हेलीकॉप्टर ने उनके पूर्ववर्ती अब्बास अल-मौसवी को मार डाला था. हिजबुल्लाह एकमात्र ऐसा समूह है जिसने 1990 में लेबनान के 15 साल के गृहयुद्ध के खत्म होने के बाद से अपने हथियार डालने से इनकार कर दिया है और नसरल्लाह जोर देकर कहता है कि इज़राइल एक वास्तविक खतरा बना हुआ है. चूंकि हिजबुल्लाह के फिलिस्तीनी सहयोगी हमास ने 7 अक्टूबर को इजराइल पर हमला किया था, इसलिए हिजबुल्लाह समूह लेबनान-इजराइल सीमा पर लगभग हर रोज इजराइली सैनिकों से लड़ता रहा है.
नसरुल्लाह का जन्म 31 अगस्त 1960 को बेरूत के गरीब उत्तरी उपनगर बुर्ज हम्मौद में हुआ था. वह बज़ोरिया नामक एक छोटे से दक्षिणी गांव के एक गरीब किराना व्यापारी के नौ बच्चों में से एक था. नसरुल्लाह ने इराक में शिया संप्रदाय के पवित्र शहर नजफ के एक मदरसे में तीन साल तक राजनीति और कुरान का अध्ययन किया. इसके बाद उसे 1978 में तब निष्कासित कर दिया गया जब सुन्नी-बहुमत सरकार ने कट्टर शिया कार्यकर्ताओं को निष्कासित कर दिया.
इसके बाद वह लेबनानी राजनीति में गहराई से शामिल हो गया लेकिन जब 1982 में इजरायली सैनिकों ने बेरूत पर आक्रमण किया तो वह अमल से अलग होकर हिजबुल्लाह का संस्थापक बन गया. उसने लेबनान और पूरे अरब जगत में अपनी असामान्य स्थिति तब हासिल की जब मई 2000 में बड़े पैमाने पर हिजबुल्लाह के हमले के बाद इज़राइल ने दक्षिणी लेबनान से अपने सैनिकों को वापस ले लिया, जिससे सीमा पर उसका 22 साल का कब्ज़ा ख़त्म हो गया. नसरल्लाह के वर्षों के नेतृत्व में, हिज़्बुल्लाह एक हमलावर गुट से देश की सबसे शक्तिशाली राजनीतिक ताकत बन गई है.