इस मुस्लिम देशों में हिजाब पर प्रतिबंध, दाढ़ी रखने पर लगेगा बड़ा जुर्माना!

Hijab Ban in Tajikistan: इस्लामिक देश ताजिकिस्तान ने कट्टरपंथ के खिलाफ बड़ा फैसला लिया है. पिछले 30 साल से देश की सत्ता पर काबिज तानाशाह इमोमाली ने देश की मुस्लिम महिलाओं के हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसके साथ ही दाढ़ी बड़ी रखने पर भी रोक लगा दी है. नियमों का पालन नहीं करने पर जुर्माने और सजा का नियम बनाया है. इमोमाली का मानना है कि नया कानून देश में फैल रहे कट्टरपंथ पर रोक लगाएगा.

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Hijab Ban in Tajikistan: भारत में हिजाब या घूंघट पर प्रतिबंध अक्सर विवादास्पद रहा है. भारत में कई स्कूलों ने हिजाब पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है. लेकिन विवाद बढ़ने के बाद उन्हें ये फैसला वापस लेना पड़ा. भारत में भी हिजाब पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठी. लेकिन समय-समय पर इसका विरोध भी होता रहा है. अब मुस्लिम बहुल देशों में हिजाब और अन्य धार्मिक कपड़े पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. पिछले 30 वर्षों से सत्ता में रहे राष्ट्रपति इमोमाली रहमान का मानना ​​है कि धार्मिक पहचान देश के विकास में बाधा बन रही है. राष्ट्रपति अपने देश में पश्चिमी जीवनशैली को बढ़ावा देने में लगे हुए हैं. ताजिकिस्तान सरकार का कहना है कि प्रतिबंध का उद्देश्य उसके राष्ट्रीय सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा करना है. इससे अंधविश्वास और उग्रवाद से लड़ने में मदद मिलेगी.

96 फीसदी आबादी हिजाब स्वीकार नहीं करती

2020 की जनगणना के मुताबिक ताजिकिस्तान में 96 फीसदी आबादी मुस्लिम है. लेकिन यहां की सरकार का कहना है कि इस्लामी जीवन शैली और मुस्लिम पहचान धर्मनिरपेक्षता के लिए चुनौती है. 1994 से सत्ता पर काबिज इमोमाली रहमान ने भी दाढ़ी बढ़ाने पर प्रतिबंध लगा दिया है. इन प्रतिबंधों का उल्लंघन करने पर लोगों को सजा और भारी जुर्माने का सामना करना पड़ता है.

दाढ़ी रखोगे तो पुलिस काट देगी 

ताजिकिस्तान ने 2007 से स्कूलों में और 2009 से सार्वजनिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया है. लेकिन अब देश में कहीं भी कोई महिला अपना सिर हिजाब या कपड़े से नहीं ढक सकती. देश में दाढ़ी के खिलाफ कोई कानून नहीं है. इसके बावजूद लोगों की जबरन दाढ़ी काट दी जाती है.

उल्लंघन के लिए दंड क्या है?

टीआरटी वर्ल्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति मैनेज्ड कपड़े पहनता है तो उसे भारी जुर्माना भरना पड़ता है. व्यक्तियों पर 64,772 रुपये, कंपनियों पर 2.93 लाख रुपये और सरकारी अधिकारियों पर 4 लाख रुपये से 4,28,325 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.

विदेश में धार्मिक शिक्षा प्राप्त करने पर भी दण्ड

ताजिकिस्तान में, यदि माता-पिता अपने बच्चों को धार्मिक शिक्षा के लिए विदेश भेजते हैं तो उन्हें भी दंडित किया जाता है. 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे बिना अनुमति के मस्जिद में प्रवेश नहीं कर सकते. ईद-उल-फितर और ईद-उल-अजहा पर बच्चों के जश्न मनाने पर भी रोक है.

काले कपड़े बेचने पर भी प्रतिबंध 

ताजिकिस्तान एक सुन्नी मुस्लिम बहुल देश है. लेकिन यहां हिजाब और दाढ़ी को विदेशी संस्कृति माना जाता है. ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे ने दो साल पहले काले कपड़ों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था. 18 वर्ष से कम उम्र के किशोर शुक्रवार की नमाज़ में भाग नहीं ले सकते. 2015 में, ताजिकिस्तान की धार्मिक मामलों की राज्य समिति ने 35 वर्ष से कम उम्र के लोगों के हज यात्रा पर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था.

ताजिकिस्तान के सामने कट्टरवाद सबसे बड़ी चुनौती 

ताजिकिस्तान की सरकार कट्टरपंथ को सबसे बड़ा ख़तरा मानती है. उनका मानना ​​है कि इन उपायों से कट्टरपंथ से लड़ने में मदद मिलेगी. पिछले कुछ वर्षों में ताजिक नागरिक बड़ी संख्या में आईएसआई में शामिल हुए हैं. इस साल मार्च में मॉस्को के क्रोकस सिटी हॉल पर हुए आतंकवादी हमले में ताजिक नागरिकों के शामिल होने के सबूत मिले थे. इस हमले में 140 से ज्यादा लोग मारे गये थे.

First Updated : Thursday, 12 September 2024