Hindenburg Controversy: हाल ही में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने शेयर बाजारों में लिस्टेड कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव की घोषणा की है. अब कंपनियों को किसी भी प्रकार की जानकारी या दस्तावेज अलग-अलग एक्सचेंजों को देने की जरूरत नहीं पड़ेगी. अब एक ही एक्सचेंज पर दी गई जानकारी ऑटोमैटिकली अन्य सभी एक्सचेंजों पर अपलोड हो जाएगी. यह कदम सेबी ने लिस्टेड कंपनियों द्वारा खुलासे और लिस्टिंग से जुड़ी जरूरतों में व्यापक सुधार के प्रस्तावों के बाद उठाया है.
REIT पर बोलने से किया इंकार
इस नई व्यवस्था से कंपनियों के लिए जानकारी साझा करना आसान हो जाएगा और प्रशासनिक दिक्कतें भी कम होंगी. हालांकि इस बदलाव के बीच सेबी के अध्यक्ष माधबी पुरी बुच ने रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (REITs) पर टिप्पणी करने से मना कर दिया है. बुच का कहना है कि अगर वह इस विषय पर कुछ कहेंगी तो उन पर हितों के टकराव का आरोप लग सकता है.
हिंडनबर्ग ने उठायें सवाल
माधबी पुरी बुच के पति धवल बुच ब्लैकस्टोन में वरिष्ठ सलाहकार हैं, जो REIT क्षेत्र की एक प्रमुख कंपनी है. हिंडनबर्ग ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट में इस संबंध में संभावित हितों के टकराव पर सवाल उठाए हैं. हालांकि बुच और उनके पति ने इन आरोपों का खंडन किया है. हिंडनबर्ग का आरोप है कि सेबी के हालिया संशोधन REIT विनियम 2014 में एक विशिष्ट वित्तीय समूह को लाभ पहुंचाते हैं, लेकिन सेबी ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है.
कांग्रेस ने भी लगाए आरोप
इस बीच कांग्रेस ने भी बुच पर नए आरोप लगाए हैं. कांग्रेस के मीडिया और प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने दावा किया है कि बुच सेबी की पूर्णकालिक सदस्य रहते हुए नियमित वेतन आईसीआईसीआई बैंक से ले रही थीं. उन्होंने यह भी कहा कि बुच की वेतन राशि 16.80 करोड़ रुपये थी और इसके अलावा वह बैंक से ईएसओपी का टीडीएस भी ले रही थीं. हालांकि सेबी ने अभी तक कांग्रेस के इन आरोपों पर कोई टिप्पणी नहीं की है. First Updated : Monday, 02 September 2024