Christmas 2023: क्रिसमस एक ऐसा त्यौहार है जो देश से लेकर विदेशों में भी बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस पर्व को ईसाई समुदाय के लोग प्रभु ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में भी मनाते हैं. इस परंपरा की शुरुआत जर्मनी से हुई थी. क्रिसमस पर देश- विदेश में छुट्टी होती है. ये त्योहार ईसाई धर्म के लोगों का प्रमुख त्योहार है, जिसका सभी साल भर बेसब्री से इंतजार करते हैं.
क्रिश्चियन लोग क्रिसमस के दिन से ही नए साल की शुरुआत मानते हैं. इस दौरान एक क्रिसमस ट्री बहुत ही खूबसूरत तरीके से सजाया जाता है. इसमें फूल, गिफ्ट, खिलौने, घंटिया, रंग-बिरंगी रोशनी आदि के साथ सजाया जाता है. आईये जानते है की क्रिसमस का इतिहास क्या है
क्रिसमस का इतिहास
क्रिसमस जीसस क्रिस्ट के जन्म की खुशी में मनाया जाता है.क्रिसमस ट्री की शुरुआत 16वीं सदी के ईसाई धर्म सुधारक मार्टिन लूथर ने की थी. पोप सेक्स्तुस जूलियस अफ्रिकानुस वह पहले शख़्स थे, जिन्होंने बड़े दिन की तारीख तय की. उन्होंने साल 221 में ईसाई क्रोनोग्राफी में 25 दिसंबर का उल्लेख किया है. रोम के पहले ईसाई सम्राट कॉन्सटेंटाइन ने भी इसी तिथि को मान्यता दी है. दुनिया के हर देश में हर जाति और वर्ग के लोग मनाने लगे हैं. कई मुल्कों में 24 दिसंबर की शाम से ही क्रिसमस से जुड़े कार्यक्रम शुरू हो जाते हैं.
क्यों सजाया जाता क्रिसमस ट्री
क्रिसमस ट्री का असली नाम 'सनोबर का पेड़' बताया जाता है, क्रिसमस ट्री इसे सदाबहार डगलस, बालसम या फर भी कहा जाता है. क्रिसमस ट्री लगाने से घर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है. यह पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को सोख लेता है, जिससे घर का वातावरण भी सकारात्मक हो जाता है. ये पेड़ पहाड़ी और हिमालयी इलाकों में पाया जाता है.
First Updated : Monday, 27 November 2023