जिस जगह से किया गया इब्राहिम रईसी के निधन का ऐलान, उस मशहद में हर साल आते हैं 20 मिलियन लोग

इरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के देहांत की खबर का देश की रूहानी राजधानी से किया गया है. ये वो जगह जहां पर हर साल करड़ों की तादाद में लोग आते हैं. चलिए जानते हैं कि ये जगह खास क्यों है?

Tahir Kamran
Tahir Kamran

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी का निधन हो गया है. रविवार को उनका हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ और सोमवार को उनके देहांत की पुष्टि की गई. इब्राहिम रईसी के देहांत की खबर का आधिकारिक ऐलान शिया तीर्थस्थल इमाम रजा के मकबरे से किया गया है. यह मकबरा उसी शहर में मौजूद जहां पर इब्राहिम रईसी का जन्म हुआ था. इस शहर का नाम मशहद है. यह शहर आबादी के लिहाज से ईरान का दूसरा सबसे बड़ा शहर है. साथ ही यह शहर खुरासान रिजवी राज्य की राजधानी भी है. 

क्या है मशहद शहर का मतलब:

ईरान का मशहद शहर काफी मुकद्दस माना जाता है. शिया मुसलमानों की मान्यता के मुताबिक आठवें इमाम अली बिन मूसा रज़ा को इसी शहर में दफनाया गया है. उनके मकबरे की वजह से मशहद से मुसलमानों और विशेष तौर पर शिया मुसलमानों का गहरा रिश्ता है. इसके अलावा इस शहर को ईरान की रूहानी राजधानी भी कहा जाता है. इसके नाम की बात करें तो मशहद उस जगह को कहा जाता है जिस जगह शाहदत हुई हो और यहां पर इमाम अली रज़ा की शहादत हुई थी.

Imam Ali Raza Shrine
Imam Ali Raza Shrine

कौन थे इमाम अली रजा:

हजरत अली बिन मूसा रज़ा शिया मान्यताओं के मुताबिक 8वें इमाम थे. उनके पिता का नाम इमाम मूसा काज़िम था. कहा जाता है कि इमाम रजा का शजरा हजरत अली से मिलता है. एक जानकारी यह भी है कि इमाम अली बिन मूसा को 'रज़ा' का लकब खुदा की तरफ मिला था. शिया मान्यताओं के मुताबिक उनके पिता को मूसा काज़िम को इल्हाम (ईश्वरीय ज्ञान) हुआ था. जिसके बाद उनके नाम के आगे 'रज़ा' शब्द भी जोड़ा जाने लगा. इमाम अली बिन मूसा का जन्म अरबी कैलेंडर के हिसाब से सन 148 में हुआ था और उनकी सन 183 में उन्हें इमामत मिली थी.

Imam Ali Raza Shrine
Imam Ali Raza Shrine

कैसे शहीद हुए इमाम अली रज़ा:

अपने पिता हजरत इमाम मूसा काजिम के बाद उन्हें अली रज़ा को इमामत की जिम्मेदारियों से नवाज़ा गया था. लेकिन उस वक्त के बादशाह से मामून अब्बासी ने उन्हें अपने फायदे के लिए ज़हर दे दिया था. इसको लेकर कहा जाता है कि मामून अब्बासी ने इमाम अली रज़ा को मशहद शहर के सनाबाद इलाके में ज़हरीने अंगूर खिलाकर दिए थे. जिसके चलते हज़रत इमाम शहीद हो गए थे. उनकी शहादत के बाद उन्हें इसी शहर में दफनाया गया था. 

Imam Ali Raza Shrine
Imam Ali Raza Shrine

इमाम रज़ा श्राइन:

आज मशहद शहर अपनी रूहानियत की वजह से पूरी दुनिया में पहचाना जाता है. इमाम अली रज़ा के मकबरे के अलावा यहां पर ईरान की सबसे बड़ी मस्जिद भी है. इसके अलावा आरामगाह, म्यूजियम, लाइब्रेरी जैसी चीजें हैं. यहां मौजूद हर इमारत खूबसूरती लोगों को अपनी तरफ खींचती है. यही वजह है कि यह जगह ईरान का मशहूर पर्टयन स्थल भी बन चुका है. एक जानकारी के मुताबिक यहां पर हर साल यहां पर 20 मिलियन से ज्यादा ईरानी और गैर-ईरानी लोग आते हैं. इसे इमाम रज़ा श्राइन के नाम से भी जाना जाता है. 

calender
20 May 2024, 04:58 PM IST

जरूरी खबरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो