45 एक्टिविस्ट्स को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत 10 साल तक की सजा

Hong Kong: हांगकांग में 45 एक्टिविस्ट्स को 10 साल तक जेल की सजा सुनाई है. पूरी दुनिया में इस खबर हलचल पैदा कर दी है. देश के कई जाने-माने लोगों को इसमें शामिल किया गया है.

Kamal Kumar Mishra
Kamal Kumar Mishra

Hong Kong: हांगकांग की एक अदालत ने 45 प्रख्यात एक्टिविस्ट्स को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत सजा सुनाई है. इन एक्टिविस्ट्स में बिनी ताई, जो कि हांगकांग के लोकतंत्र समर्थक आंदोलन के एक प्रमुख नेता हैं, भी शामिल हैं. उन्हें 10 साल तक की सजा सुनाई गई है. यह फैसला हांगकांग सरकार के उस प्रयास का हिस्सा है जिसके तहत वह चीन की तरफ से लगाए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लागू कर रहा है. 

राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को 2020 में हांगकांग में लागू किया था, जिसका उद्देश्य हांगकांग में चीन के खिलाफ विरोध और असंतोष को दबाना था. इस कानून के तहत अलगाववाद, विद्रोह, आतंकवाद और विदेशी ताकतों के साथ मिलकर हांगकांग की सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया जा सकता है. इस कानून को लेकर कई आलोचक यह मानते हैं कि यह हांगकांग की स्वायत्तता और स्वतंत्रता को नुकसान पहुंचा रहा है और इसके जरिए चीनी सरकार ने हांगकांग में लोकतांत्रिक आंदोलनों को पूरी तरह से दबा दिया है. 

बिनी ताई और अन्य एक्टिविस्ट्स पर आरोप है कि उन्होंने 2019 में हांगकांग में हुए लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनों का समर्थन किया था और चीन के खिलाफ बयानबाजी की थी. ताई, जो हांगकांग विश्वविद्यालय के प्रोफेसर भी हैं, को सजा देने का यह कदम अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. उनके समर्थन में कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने आवाज उठाई है, और यह आरोप लगाया है कि यह कदम हांगकांग में नागरिक अधिकारों के उल्लंघन के रूप में देखा जा रहा है.

यह फैसला हांगकांग में चीन के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है और यह भी दिखाता है कि वहां की न्यायिक प्रणाली पर चीन का दबाव लगातार बढ़ रहा है. इस घटना के बाद हांगकांग में लोकतंत्र समर्थक आंदोलन के भविष्य को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है, क्योंकि इस कानून के तहत गिरफ्तारियां और सजा देने की प्रक्रिया तेज हो गई है. 

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस फैसले की आलोचना हो रही है और कई देशों ने चीन से हांगकांग में लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान करने की अपील की है. यह घटना हांगकांग के नागरिक समाज और उनके अधिकारों के संरक्षण को लेकर गंभीर सवाल खड़ा करती है.

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19 November 2024, 09:34 PM IST

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