पाकिस्तान की सियासत में कैसे हावी रहीं ये पॉलिटिकल फैमिली

Pakistan Election 2024: पाकिस्तान में एक बार फिर शरीफ और भुट्टो परिवार सत्ता में आने की होड़ में हैं. जानिए पाकिस्तान में पॉलिटिकल फैमिली कैसे राजनीति में हावी हो रही हैं.

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Pakistan Election 2024: 8 फरवरी को पाकिस्तान की संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली और चार प्रांतीय विधानसभाओं की 336 सीटों के लिए मतदान किया गया. पाकिस्तान के इतिहास को देखें तो यहां की सत्ता पर कुछ चुनिंदा परिवारों का ही कब्जा रहा है. पाकिस्तान में जब भी भाई-भतीजावाद की चर्चा होती है तो दो नाम प्रमुखता से सामने आते हैं. पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और भुट्टो परिवार, जिसने दशकों तक सिंध प्रांत पर शासन किया. 

पाकिस्तान की राजनीति में वंशवादी परिवार

पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान में राजनीतिक सत्ता अक्सर विशेष परिवारों के कुछ चुनिंदा लोगों के हाथों में रही है. मीडिया रिपोर्टेस पर नजर डाले तो, पाकिस्तान के दो मुख्य वंशवादी परिवार पूर्व प्रधान मंत्री नवाज़ शरीफ़ का शरीफ़ कबीला और भुट्टो परिवार हैं, जिन्होंने दशकों तक दक्षिणी सिंध प्रांत पर शासन किया है. नवाज़ शरीफ़ और भुट्टो परिवार के वंशज बिलावल भुट्टो-जरदारी दोनों इन आम चुनावों में प्रधानमंत्री पद के लिए मुकाबला कर रहे हैं. 

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1990 के दशक में सैन्य शासन की अवधि के अलावा, पाकिस्तान में राजनीतिक सत्ता शरीफ़ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के बीच ट्रांसफर हो गई. 2018 में ही क्रिकेटर से नेता बने इमरान ख़ान 2022 में अविश्वास मत में बाहर होने से पहले सत्ता में आए थे. 

वंशवादी परिवारों थे 80 प्रतिशत जीतने वाले उम्मीदवार 

हालांकि, अरब न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, कनाडा में फ्रेजर वैली विश्वविद्यालय के समाजशास्त्री डॉ. हसन जाविद के शोध ने अपनी रिसर्च में बताया कि पंजाब में 2018 के जो इलेक्शन हुए उसमें जीतने वाले 80 प्रतिशत उम्मीदवार राजनीतिक परिवारों से तल्लुक रखते थे. 

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नवाज़ शरीफ़ का परिवार 

नवाज़ शरीफ़, जिनके देश की सेना के आशीर्वाद से चौथी बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने की सबसे ज्यादा उम्मीद है. नवाज़ की बात करें तो वो पंजाब के एक धनी बिजनेस करने वाले परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनके भाई पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ लाहौर और कसूर से चुनाव लड़ रहे हैं. नवाज़ शरीफ़ की बेटी मरियम नवाज़ को उनके भतीजे हमजा शाहबाज़ शरीफ़ के साथ लाहौर से चुनाव लड़ रहे हैं. 

भुट्टो परिवार 

बेनजीर भुट्टो और पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के बेटे बिलावल भुट्टो जरदारी सिंध और पंजाब से चुनाव लड़ रहे हैं. उनकी पार्टी PPP ने 2008 से सिंध पर तीन बार जीत हासिल की. इस बार, PPP ने प्रांत में राष्ट्रीय और प्रांतीय विधानसभा चुनावों के लिए 191 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से अधिकांश उम्मीदवार सिंध के 12 प्रमुख राजनीतिक परिवारों से हैं. पीपीपी के सह-अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी भी दौड़ में हैं, जबकि उनकी बहनों - शहीद बेनजीराबाद और फरयाल तालपुर को भी टिकट दिया गया है. 

गफ्फार ख़ान का परिवार 

मीडियी रिपोर्ट्स की मानें तो, गफ्फार ख़ान के परिवार का खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्र में दबदबा है, जिसमें उनके बेटे ख़ान अब्दुल वली ख़ान और पोते असफंदयार वली प्रमुख भूमिका निभाते हैं. मौलाना मुफ्ती महमूद का परिवार, अटक के खटार, मेंगल, बुगती और बलूचिस्तान के चौधरी पाकिस्तान में कुछ अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रीय खिलाड़ी हैं. देश का सबसे बड़ा प्रांत बलूचिस्तान पर दशकों से परिवारों या जनजातियों का शासन रहा है. 

विश्लेषकों का मानना ​​है कि पाकिस्तान में राजनीतिक दलों के भीतर लोकतांत्रिक व्यवस्था की कमी के कारण वंशवादी राजनीति पनपती है. First Updated : Friday, 09 February 2024

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