अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध में नया मोड़, 104% शुल्क से महंगे होंगे अमेरिकी सामान
चीन से अमेरिका में होने वाले आयात में स्मार्टफोन सबसे बड़ा हिस्सा बनाते हैं, जो कुल आयात का 9 फीसदी है. इनमें से अधिकांश स्मार्टफोन्स अमेरिका स्थित बहुराष्ट्रीय कंपनी एप्पल के लिए चीन में बनाए जाते हैं. ट्रंप के 104% टैरिफ के कारण इन स्मार्टफोन्स की कीमतें अमेरिका में बढ़ सकती हैं, जिसका असर सीधे तौर पर अमेरिकी उपभोक्ताओं पर पड़ेगा.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर 104 फीसदी का जवाबी शुल्क लगा दिया है, जिससे अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध और बढ़ गया है. यह शुल्क 9 अप्रैल से लागू हो गया है. इससे पहले 2 अप्रैल को ट्रंप ने चीन पर 34 फीसदी अतिरिक्त टैक्स लगाया था, जिसे चीन ने भी पलटवार करते हुए अमेरिकी सामानों पर 34 फीसदी शुल्क लगा दिया था. इसके बाद, ट्रंप ने 50 फीसदी शुल्क लगाने की धमकी दी थी, और अंततः 104 फीसदी टैरिफ लगा दिया.
पिछले साल, दोनों देशों के बीच करीब 585 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था. इसमें अमेरिका ने 440 अरब डॉलर का सामान चीन से आयात किया, जबकि चीन ने 145 अरब डॉलर का अमेरिकी सामान मंगवाया. अमेरिका का व्यापार असंतुलन 295 अरब डॉलर का था, जिसे वह अब टैरिफ लगाकर ठीक करने की कोशिश कर रहा है.
क्या-क्या महंगा होगा?
चीन ने अमेरिका से ज्यादा सोयाबीन, फार्मास्यूटिकल्स, और पेट्रोलियम उत्पाद मंगवाए हैं. वहीं, अमेरिका चीन से इलेक्ट्रॉनिक्स, स्मार्टफोन, और खिलौने आयात करता है. ट्रंप के 104 फीसदी टैरिफ से अमेरिका में इन सामानों की कीमतें बढ़ सकती हैं. हालांकि, अमेरिका से आयातित सामान की कीमतें भी चीन में बढ़ेंगी.
इस व्यापार युद्ध का असर
इस व्यापार युद्ध का पहला असर शेयर बाजारों पर दिखने लगा है. चीन के शेयर बाजार में गिरावट आई है, और भारतीय शेयर बाजार में भी मंदी आई है. विशेषज्ञों का कहना है कि इससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर असर पड़ेगा और मंदी आ सकती है. चीन की जीडीपी में गिरावट की आशंका जताई जा रही है. इसके अलावा, अमेरिका के साथ-साथ वियतनाम, दक्षिण कोरिया जैसे देशों को भी इसका असर हो सकता है.
वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर
अमेरिका और चीन की अर्थव्यवस्था वैश्विक अर्थव्यवस्था का लगभग 43 प्रतिशत हिस्सा है. अगर चीन के सामान की कीमतें बढ़ती हैं, तो उसकी मांग घट सकती है और अन्य देशों के बाजारों में बढ़ोतरी हो सकती है. इससे दुनिया के कई देशों में मंदी का खतरा पैदा हो सकता है, और भारत की अर्थव्यवस्था भी इससे प्रभावित हो सकती है.


