Hush Money Case: राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप खुद को दे सकते हैं क्षमादान, जानें क्या कहता है अमेरिका का संविधान

अगर बात अधिकारों की करें तो अमेरिकी राष्ट्रपतियों को क्षमादान देने का अधिकार संविधान ने दिया है. संविधान के अनुसार राष्ट्रपतियों के पास महाभियोग के मामलों को छोड़कर, संयुक्त राज्य अमेरिका के विरुद्ध अपराधों के लिए क्षमादान और राहत देने की शक्ति है.

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अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को हश मनी (Hush Money) मामले में दोषी पाया गया है, लेकिन न उन्हें जेल जाना पड़ेगा और न ही कोई जुर्माना भरना होगा. ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए हैं. वह 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे.  अब ऐसे में एक बड़ा सवाल ये है कि क्या राष्ट्रपति बनने के बाद वह खुदको क्षमादान दे सकते हैं. चलिए आज हम आपको बताते हैं कि आखिर इसे लेकर क्या कुछ कहा जा रहा है. 

आखिर राष्ट्रपति क्षमादान कैसे कार्य करता है? 

अगर बात अधिकारों की करें तो अमेरिकी राष्ट्रपतियों को क्षमादान देने का अधिकार संविधान ने दिया है. संविधान के अनुसार राष्ट्रपतियों के पास महाभियोग के मामलों को छोड़कर, संयुक्त राज्य अमेरिका के विरुद्ध अपराधों के लिए क्षमादान और राहत देने की शक्ति है. व्यवहारिक तौर पर राष्ट्रपति क्षमादान देने या सजा में की करने की पेशकश कर सकता है. संविधान में मिले अधिकारों के अनुसार राष्ट्रपति पूर्ण क्षमादान भी दे सकता है. किसी शख्स को क्षमादान पाने के लिए उस पर आरोप लगाया जाना या आरोपों के सिद्ध होने की भी जरूरत नहीं है. 

तो क्या ट्रंप खदुको ही दे सकते हैं क्षमादान? 

इस सवाल का साफ तौर कोई जवाब फिलहाल मौजूद नहीं है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि संविधान की शब्दावली इसे लेकर काफी छोटी है, लेकिन इसका व्यापक अनुप्रोयग भी है. साथ ही अभी तक किसी भी अमेरिकी नेता द्वारा इस प्रकार खुद के लिए ही क्षमादान देने का कोई उदाहरण भी नहीं है. जबकि कई कानून के जानकार मानते हैं कि ऐसा नहीं किया जा सकता है. इसके पीछे का तर्क ये दिया जा रहा है कि कोई भी शख्स अपने ही मामले में न्यायाधीश की भूमिका नहीं निभा सकता है. वो खुदको क्षमा नहीं कर सकता. जबकि कई जानकार ऐसे भी है जो मानते हैं कि संविधान खुदको क्षमादान देने से कभी नहीं रोकता है. यानी इस मुद्दे पर स्थिति अभी तक पूरी तरह से साफ नहीं है. ये फैसला संभवत: मौजूदा सरकार ही ले सकती है. 

इस फैसले के बाद अब क्या होगा

इस फैसले के बाद ट्रंप फ्लोरिया में अपने मताधिकार का इस्तेमाल पहले की तरह ही कर पाएंगे. उनके अधिकार तब तक अप्रभावित रहेंगे जब तक कि उनकी सजा के दौरान न्यूयॉर्क में स्पष्टीकरण रद्द नहीं कर दिया जाता. संघीय कानून के तहत, ट्रंप अपने पास बंदूक रखने पर रोक लगा दी गई है.  जैसा कि न्यूयॉर्क की आवश्यकता है, ट्रंप को राज्य अपराध डेटा बैंक के लिए एक डीएनए नमूना प्रदान करना होगा. आरोप साबित होने के बाद भी ट्रंप बतौर राष्ट्रपति शपथ ले सकते हैं. ऐसा इसलिए भी क्योंकि संघीय कानून उनको ऐसा करने की इजाजत देता है. इस फैसले के बाद ट्रंप के पास डिप्लोमेटिक पासपोर्ट के साथ-साथ रेगुलर पासपोर्ट भी रखने का अधिकार होगा. वह विदेश की यात्री भी कर पाएंगे. 

मैनहट्टन कोर्ट ने दी थी राहत

आपको बता दें कि अमेरिका की मैनहट्टन कोर्ट ने डोनाल्ड ट्रंप को हश मनी केस में बड़ी राहत दी है. न्यायालय ने उन्हें बिना शर्त छोड़ दिया. दोषी होने के बाद भी डोनाल्ड ट्रंप जेल और जुर्माना दोनों से बच गए. नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को हश मनी मामले में शुक्रवार को औपचारिक रूप से सजा सुनाई गई, हालांकि न्यायाधीश ने कोई भी सजा देने से इनकार कर दिया. इसकी वजह से ट्रंप अब जेल की सजा या जुर्माने के डर से मुक्त होकर व्हाइट हाउस जा सकेंगे. अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को एक पोर्न स्टार को पैसे देकर चुप रहने के लिए मजबूर करने के अपराध में दोषी करार दिया गया था. ट्रंप एकमात्र अमेरिकी राष्ट्रपति (वर्तमान या पूर्व) हैं, जिन्हें किसी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है.

कोर्ट के फैसले को मिटाने की शक्ति नहीं

इस मामले में मैनहट्टन कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस जेएम मर्चन ने कहा कि मैं सजा इसलिए दे रहा हूं, क्योंकि अमेरिकी संविधान राष्ट्रपतियों को अभियोजन से बचाता है. लेकिन राष्ट्रपति कार्यालय को दी गई सुरक्षा किसी अपराध की गंभीरता को कम नहीं करती या उचित नहीं ठहराती. असाधारण सुरक्षा के बावजूद राष्ट्रपति कार्यालय को जूरी के फैसले को मिटाने की शक्ति नहीं है

34 आरोपों में दोषी करार दिए गए थे ट्रंप

गौरतलब है कि दो महीने तक चले इस मामले में अदालत ने ट्रंप को सेक्स स्कैंडल को छिपाने के लिए हेराफेरी के 34 आरोपों में दोषी ठहराया था. ट्रायल जज 78 वर्षीय ट्रंप को चार साल तक कैद की सजा सुना सकते थे. पर उन्होंने ऐसा रास्ता चुना, जिससे मामले का प्रभावी निस्तारण भी हो गया और जटिल सांविधानिक संकट खड़ा होने से भी बच गया. First Updated : Saturday, 11 January 2025