BrahMos Missile: दक्षिण सागर में चीन की बढ़ती तानाशाही और फिलीपीन्स के साथ चल रहे तनाव के बीच भारत ने आज (19 अप्रैल) शुक्रवार को उसे सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस की पहली खेप सौंप दी है. भारत से सी-17 ग्लोबमास्टर ट्रांसपोर्ट प्लेन की मदद से इन मिसाइलों को फिलीपीन्स के हवाई अड्डे तक पहुंचाया गया है. भारत और फिलीपीन्स के बीच यह पूरी डील 37 करोड़ 50 लाख डॉलर की है. भारत की तरफ से फिलीपीन्स को यह मदद ऐसे समय पर की गई है जब उसकी चीन के साथ उसी तनातनी जारी है. ऐसे में फिलीपीन्स ने चीन की दादागिरी पर लगाम लगाने के लिए भारत से यह मिसाइल को खरीद है.
ब्रह्मोस को भारत का ब्रह्मास्त्र कहा जाता है जिसका निर्माण रूस के सहयोग से किया गया है. इसे दुनिया की सबसे तेज हमला करने वाली क्रूज मिसाइल कहा जाता है. ऐसा माना जा रहा है कि ब्रह्मोस के शामिल होने पर फिलीपीन्स की चीन के खिलाफ मारक क्षमता में कई गुना बढ़ोत्तरी हुई है. भारत और फिलीपीन्स के बीच जनवरी 2022 में इस मिसाइल को लेकर समझौता हुआ था. इस डील को भारत के रक्षा निर्यात की दिशा में बड़ी सफलता माना जा रहा है.
ब्रह्मोस मिसाइल को भारत के डीआरडीओ और रूस के एनपीओ ने मिलकर बनाया है. आज के समय में इस मिसाइल का 85 प्रतिशत भाग भारत में ही बनाया जा रहा है. यह भारत के आत्मनिर्भरता और स्वदेशी रक्षा उत्पादन को दिखाता है. भारत और फिलीपीन्स दोनों को ही साथ चीन का तनाव चल रहा है. हाल ही में चीन ने फिलीपीन्स को एक द्वीप पर जाने से रोक दिया है. इस द्वीप के स्वामित्व को लेकर दोनों का तनाव है.
बता दें, कि हाल ही में अमेरिका ने भी फिलीपीन्स में अपना एयर डिफेंस सिस्टम तैनात किया है जो बेहद शक्तिशाली है. वहीं अमेरिका ने फिलीपीन्स के कई द्वीपों पर अपना सैन्य अड्डा बनाना शुरू किया है ताकि ताइवान को लेकर जोरदार जवाबी हमला किया जा सके. इस बीच चीन की सेना लगातार फिलीपीन्स को डराने का प्रयास कर रही है. यही वजह है कि फिलीपीन्स की सरकार ने भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदी है जो चीन को मुंहतोड़ जवाब देने का साहस रखती है. भारत की नौसेना भी ब्रह्मोस मिसाइल का विशाल जखीरा बना रही है. First Updated : Friday, 19 April 2024