G20 Summit In India: दिल्ली में सम्पन्न हुए जी-20 सम्मेलन को भारत की कूटनीतिक जीत के रूप में देखा जा रहा है और वैश्विक स्तर पर बढ़ते प्रभाव को भी माना जा रहा है. यूक्रेन जैसे अधिक प्रभावशाली मुद्दों के बाद भी इंडिया साझा बयान जारी करने में कामयाब हो सका. इसको यूक्रेन को छोड़कर सभी पक्षों ने स्वीकार भी कर लिया. खास बात यह रही कि दिल्ली के घोषणा पत्र में सात पैराग्राफ यूक्रेन युद्ध पर हैं, इसमें कहीं भी रूस का नाम नहीं है.
विश्व मीडिया पर जी-20 को लेकर भारत का प्रभाव बढ़ता दिखा तो दूसरी ओर मीडिया को लेकर चिंता भी जाहिर की गईं हैं. बता दें कि विदेशी मीडिया ने भारत का दुनिया में आर्थिक और भू-राजनैतिक क्षेत्र में बढ़ते कद की सराहना की. लेकिन मीडिया और हिंदुत्व के बढ़ते प्रभाव की आलोचना भी की. भारत दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के साथ अमेरिका के करीब है, लेकिन पश्चिम और रूस के बीच जो गहराई थी. उसे पाटने की भी पूरी कोशिश की. इसी को लेकर विदेशी मीडिया में भारत दो दिनों तक छाया रहा.
बता दें कि एनबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, पत्रकारों को नेताओं से दूरी बनाए रखने का जिक्र करते हुए कहा कि नई दिल्ली में लगे पोस्टरों में अपने आप को मदर ऑफ डेमोक्रेसी बताने की कोशि की और सैकड़ों पत्रकारों को नेताओं से दूरी बनाई गई. प्रोटोकॉल के नाम पर आम पत्रकारों को पीएम मोदी की राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ मुलाकात को कवर करने के लिए कोई अनुमति तक नहीं दी गई.
सीएनएन ने रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के बयान को छापा और उसमें लिखा गया कि दिल्ली के घोषणापत्र प्रकाशित होने के अगले दिन लावरोव ने कहा था कि ये सम्मेलन सिर्फ भारत के लिए नहीं है, बल्कि हम सबके लिए कामयाब रहा. यूक्रेन एक जटिल मुद्दा है, जिसको लेकर पश्चिम के देशों, रूस और चीन के बीच काफी मतभेद हैं और दिल्ली घोषणा पत्र में इस बात का जिक्र किया गया है कि स्थिति को अलग-अलग नजरिए आकलन किया गया. जिसके बाद ही ये सदस्य देशों के बीच मतभेद को ही प्रतिबंधित करता है. इसी के साथ वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा कि जी-20 का घोषणा पत्र ग्लोबल साउथ (भारत जैसे विकासशील देश) के प्रभाव को बढ़ता देखा जा सकता है. First Updated : Monday, 11 September 2023