India Maldives Hydrographic Survey: मालदीव सरकार ने भारत फिर दिया झटका, एक बार फिर समझौता तोड़ने का लिया फैसला
India Maldives Hydrographic Survey: भारत सरकार को एक फिर फिर मालदीव सरकार ने झटका दे दिया है. मालदीव सरकार मुइज्जू ने भारत के साथ एक और समझौता तोड़ने का ऐलान किया है. उन्होंने कहा है कि, जल का हाइड्रोग्राफिक सर्वे करने का समझौता रिन्युअल नहीं किया जाएगा.
India Maldives Relationship: मालदीव सरकार मुइज्जू भारत सरकार को एक के बाद एक झटका दे रही है. एक महीने पहले ही मालदीव ने अपने सैन्य कर्मियों को वापस बुलाने के लिए कहा था. वहीं अब फिर से राष्ट्रपति मुइज्जू की सरकार ने भारत के साथ एक और समझौता तोड़ने का फैसला किया है. मुइज्जू की सरकार ने फैसला किया है कि, मालदीव के क्षेत्रीय जल का हाइड्रोग्राफिक सर्वे करने का समझौता रिन्युअल नहीं किया जाएगा.
आपको बता दे कि, यह समझौता 8 जून 2019 को हुआ था. उस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने तत्कालीन राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के निमंत्रण पर मालदीव का दौरा किए थे. इस समझौते में भारत को मालदीव के क्षेत्रीय जल, अध्ययन और चार्ट रीफ, लैगून, समुद्र तट, महासागरीय धाराएं और ज्वार के स्तर का हाईट्रोग्राफित सर्वेक्ष करने की अनुमति दी गई थी. गौरतलब है कि, यह पहला द्विपक्षीय समझौता है जिसे अब मालदीव सरकार आधिकारिक तौर पर समाप्त करने का फैसला लिया है.
कैबिनेट से बातचीत बाद राष्ट्रपति मुइज्जू ने लिया फैसला-
मालदीव मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मुइज्ज ने अपने कैबिनेट से परामर्श करने के बाद यह फैसला लिया है. सूत्रों के हवाले से कहा है कि, प्रशासन का मानना है कि, इस तरह के सर्वेक्षण करने और ऐसी संवेदनशील जानकारी की सुरक्षा करने के लिए मालदीव की सेना की क्षमता में सुधार करना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे अच्छा है. उन्होंने आगे कहा कि, भविष्य में हाइड्रोग्राफिक का 100 प्रतिशत काम मालदीव प्रबंधन के जरिए किया जाएगा. इस बात की जानकारी केवल मालदीव के लोगों को ही दी जाएगी.
समझौता तोड़ने को लेकर मालदीव सरकार ने भारत को दी जानकारी
गुरुवार को मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय में सार्वजनिक नीति के सचिव मोहम्मद फिरुजुल अब्दुल खलील ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि मुइज्जू सरकार ने हाइ़्रोग्राफिक समझौता को नवीनीकरण नहीं करने का फैसला किया है. इस समझौते की अवधि 7 जून 2024 को समाप्त हो रही है.
मोहम्मद फिरुजुल अब्दूल खलील ने आगे कहा कि, इस समझौते की शर्तों के आधार पर अगर एक पक्ष समझौते को छोड़ना चाहता है तो समझौते की समाप्ती करने के निर्णय के बारे में 6 महीने पहले दूसरे पक्ष को जानकारी देना चाहिए. इसके बाद उन्होंने कहा कि, भारत को सूचित किया गया है कि, मालदीव सरकार समझौते पर आगे नहीं बढ़ना चाहते हैं.