भारत का एक दांव और चीन-पाकिस्तान दोनों हो जाएंगे चित! तालिबान आएगा दिल्ली?

चीन पहले ही तालिबान से अपने संबंधों को बेहतर बना चुका है और अफगानिस्तान में कई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में निवेश कर रहा है. ऐसे में भारत भी तालिबान को राजदूत नियुक्त करने की अनुमति देकर अपनी स्थिति को बेहतर बना सकता है. 

Taliban ambassador in Delhi: भारत और अफगानिस्तान के बीच तालिबान के शासन के बाद संबंधों में सुधार हो रहा है. हाल ही में भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से मुलाकात की, जिससे दोनों देशों के बीच नजदीकियों का संकेत मिला. इसके बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि भारत अफगानिस्तान के तालिबान शासन को नई दिल्ली में अपना राजदूत नियुक्त करने की अनुमति दे सकता है. यदि ऐसा हुआ तो यह तालिबान को भारत की ओर से एक प्रकार की मान्यता देने जैसा होगा, जबकि अधिकांश देश इससे बच रहे हैं. 

भारत के लिए अफगानिस्तान एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण देश है और तालिबान से संबंध सुधारने की कोशिश में भारत अपनी स्थिति मजबूत करना चाहता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत को लगता है कि यह समय तालिबान को समर्थन देने का उपयुक्त अवसर हो सकता है. एक ओर, चीन पहले ही तालिबान से अपने संबंधों को बेहतर बना चुका है और अफगानिस्तान में कई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में निवेश कर रहा है. ऐसे में भारत भी तालिबान को राजदूत नियुक्त करने की अनुमति देकर अपनी स्थिति को बेहतर बना सकता है. 

भारत के लिए बड़ा मौका

भारत को यह मौका पाकिस्तान के खिलाफ भी लाभकारी सिद्ध हो सकता है. तालिबान और पाकिस्तान के रिश्ते हाल के समय में खराब हो चुके हैं और तालिबान ने पाकिस्तान से रिश्ते सुधारने की बजाय चीन, रूस और भारत जैसे देशों से संबंध मजबूत करने की कोशिश की है. भारत के लिए यह समय अफगानिस्तान में पाकिस्तान के प्रभाव को कमजोर करने का भी है. 

हालांकि, भारत के लिए तालिबान के साथ संबंधों में कुछ जोखिम भी हो सकते हैं. अफगानिस्तान में तालिबान के शासन के तहत आतंकवाद बढ़ गया है और इस्लामिक स्टेट (IS) तेजी से वहां अपनी गतिविधियां फैला रहा है. यह भारत की सुरक्षा के लिए चिंता का कारण हो सकता है. इसके अलावा, तालिबान पर तहरीक-ए-तालिबान (TTP) का समर्थन करने का आरोप भी है, जो पाकिस्तान में हमले कर रहा है. भारत की प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि अफगानिस्तान आतंकवाद से मुक्त हो, और इस दृष्टिकोण से तालिबान के साथ संबंधों को आगे बढ़ाने से पहले यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा हो सकता है. 

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23 March 2025, 11:51 PM IST

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