नियमों का पालन करें...; ट्रंप की डिपोर्टेशन नीति पर भारत सतर्क, छात्रों को दी ये जरूरी सलाह
अमेरिका में भारतीय छात्रों के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं, खासकर डोनाल्ड ट्रंप की डिपोर्टेशन नीति के चलते. हाल ही में, जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के पोस्टडॉक्टरल फेलो बादर खान सूरी को ‘हमास प्रोपेगेंडा’ फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया, जबकि कोलंबिया यूनिवर्सिटी की छात्रा रंजिनी श्रीनिवासन को वीजा रद्द होने के बाद कनाडा जाना पड़ा. इस बीच भारतीय विदेश मंत्री ने अमेरिका में रह रहे छात्राओं को अहम सलाह दी है.

अमेरिका में भारतीय छात्रों के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. डोनाल्ड ट्रंप की डिपोर्टेशन नीति के तहत अब तक कई छात्रों और शोधकर्ताओं पर कार्रवाई हो चुकी है. हाल ही में, दो भारतीय नागरिकों, बादर खान सूरी और रंजिनी श्रीनिवासन को अमेरिकी सरकार के कड़े इमिग्रेशन नियमों का सामना करना पड़ा. विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय छात्रों से अमेरिकी कानूनों का पालन करने की सलाह दी है.
अमेरिका में भारतीय छात्रों पर गिरी गाज
आपको बता दें कि बादर खान सूरी, जो जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में पोस्टडॉक्टरल फेलो हैं उन्हें अमेरिकी अधिकारियों ने ‘हमास प्रोपेगेंडा’ फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया है. वहीं, कोलंबिया यूनिवर्सिटी की छात्रा रंजिनी श्रीनिवासन को प्रोपेलेस्टाइन प्रदर्शन में भाग लेने के कारण अमेरिका छोड़ना पड़ा. अमेरिकी सरकार ने उनका वीजा रद्द कर दिया, जिसके बाद उन्होंने कनाडा में शरण ले ली.
भारतीय दूतावास से नहीं मांगी मदद
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जैसवाल ने शुक्रवार को कहा कि इन दोनों भारतीय नागरिकों ने अमेरिकी भारतीय दूतावास से कोई सहायता नहीं मांगी. उन्होंने कहा, "न तो अमेरिका सरकार और न ही इन व्यक्तियों ने इस मुद्दे पर भारतीय दूतावास से संपर्क किया है."
डोनाल्ड ट्रंप की नीति से बढ़ा डर
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव नजदीक हैं और डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कर दिया है कि वे ‘टेररिस्ट सिंपैथाइजर’ यानी आतंकवाद समर्थकों को देश से बाहर निकालने में कोई कोताही नहीं बरतेंगे. ट्रंप ने धमकी दी है कि जो भी छात्र हमास या फिलिस्तीनी समर्थक प्रदर्शनों में शामिल होंगे, उनकी यूनिवर्सिटी की फंडिंग काट दी जाएगी और उन्हें डिपोर्ट कर दिया जाएगा.
बादर खान सूरी की गिरफ्तारी और अदालती रोक
बादर खान सूरी ने दावा किया कि उनकी गिरफ्तारी का कारण उनकी पत्नी की फिलिस्तीनी जड़ें हैं. अमेरिकी अधिकारियों ने उन्हें डिपोर्ट करने की पूरी तैयारी कर ली थी, लेकिन अदालत ने उनके निर्वासन पर रोक लगा दी है.
रंजिनी श्रीनिवासन ने खुद को किया डिपोर्ट
रंजिनी श्रीनिवासन ने अमेरिकी सरकार से कोई कानूनी लड़ाई नहीं लड़ी. जब उनका वीजा रद्द हुआ, तो उन्होंने 11 मार्च को ‘कस्टम्स एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन होम’ ऐप के जरिए खुद को अमेरिका से डिपोर्ट कर दिया और कनाडा चली गईं. अमेरिकी सरकार का आरोप है कि उन्होंने ‘हिंसा और आतंकवाद का समर्थन’ किया और हमास से जुड़े कार्यों में शामिल रहीं.
भारतीय विदेश मंत्रालय की चेतावनी
रणधीर जैसवाल ने कहा कि वीजा और इमिग्रेशन मामलों पर फैसला करना किसी भी देश का संप्रभु अधिकार होता है. उन्होंने कहा कि जब विदेशी नागरिक भारत आते हैं, तो वे हमारे कानूनों का पालन करते हैं. इसी तरह हम उम्मीद करते हैं कि भारतीय नागरिकों को भी विदेश के स्थानीय नियमों का पालन करना चाहिए."
अमेरिका में बढ़ रही भारतीय छात्रों की संख्या
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि अमेरिका में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है और सरकार अमेरिका के साथ शैक्षणिक संबंधों को मजबूत करना चाहती है. उन्होंने आश्वासन दिया कि भारतीय दूतावास हमेशा छात्रों की मदद के लिए तैयार रहेगा.