World News: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की स्थायी सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी को समर्थन मिला है. भारत की दावेदारी को तब बल मिला जब भूटान और पुर्तगाल ने संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र के दौरान अपना समर्थन दिया. यह समर्थन संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन द्वारा भारत की यूएनएससी उम्मीदवारी का समर्थन करने के एक दिन बाद आया है. संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और रूस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य हैं और किसी भी प्रस्ताव या फैसले पर वीटो शक्तियां उनके पास हैं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कई सालों से भारत कई वैश्विक मंचों पर मांग करता रहा है कि उसे संयुक्त राष्ट्र की इस शक्तिशाली संस्था का स्थायी सदस्य बनाया जाए. हालांकि, यूएनएससी में वीटो पावर रखने वाला चीन भारत के प्रयासों में रोड़ा अटकाता रहा है.
भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने संयुक्त राष्ट्र में सुधार की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि सुरक्षा परिषद अब 'अतीत का अवशेष' बन चुका है. उन्होंने कहा कि भारत अपनी मजबूत आर्थिक वृद्धि और वैश्विक दक्षिण के नेतृत्व के कारण स्थायी सीट का हकदार है. वैश्विक दक्षिण उन देशों को दर्शाता है जो आर्थिक विकास में पिछड़े हुए हैं और जो उत्तरी गोलार्ध के देशों की तुलना में गरीबी और भुखमरी का सामना कर रहे हैं.
तोबगे ने भारत के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत ने भूटान को अल्प विकसित देशों (एलडीसी) की श्रेणी से बाहर निकलने में समर्थन और मित्रता दी है. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को आज की दुनिया की वास्तविकताओं के साथ मेल खाना चाहिए.
पुर्तगाली प्रधानमंत्री लुस मोंटेनेग्रो ने भी इस बात पर जोर दिया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की संरचना पुरानी हो चुकी है. उन्होंने कहा कि इस निकाय में सुधार की आवश्यकता है ताकि यह अधिक सक्रिय और प्रभावी बन सके. मोंटेनेग्रो ने कहा कि कुछ क्षेत्रों की अनुपस्थिति परिषद के कामकाज में बाधा डालती है. First Updated : Saturday, 28 September 2024