केरल की नर्स, निमिषा प्रिया, को यमन में एक यमनी नागरिक की हत्या के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई है. हाल ही में खबर आई थी कि यमनी राष्ट्रपति ने उनकी फांसी की सजा को मंजूरी दे दी है, लेकिन यमन दूतावास ने इस पर सफाई दी है. दूतावास ने कहा कि यमनी राष्ट्रपति रशद मोहम्मद अल-अलीमी ने निमिषा की सजा की पुष्टि नहीं की है. इसकी वजह यह है कि निमिषा राजधानी सना की जेल में बंद हैं, जो हूती विद्रोहियों के नियंत्रण वाले इलाके में है. ऐसे में यह मामला यमनी राष्ट्रपति के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. हूती विद्रोहियों का प्रशासन ही इस सजा पर फैसला करेगा.
दूतावास ने सोमवार को भारत में जारी बयान में कहा कि निमिषा का केस हूती विद्रोहियों की कोर्ट में चला था. प्रिया को मौत की सजा हूती सुप्रीम पॉलिटिकल काउंसिल के नेता मेहदी अलमशात ने दी थी. इसमें यमनी राष्ट्रपति का कोई हस्तक्षेप नहीं था. अब इस मामले में आगे का फैसला हूती सरकार को ही लेना है.
निमिषा को फांसी से बचाने की आखिरी उम्मीद भारत को ईरान से है. हूती विद्रोहियों को ईरान का समर्थन प्राप्त है, और ऐसे में ईरान का दखल इस मामले में मददगार हो सकता है. एक वरिष्ठ ईरानी अधिकारी ने कहा कि निमिषा के लिए जो भी मदद हो सकेगी, वे वह करेंगे.
निमिषा प्रिया केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली हैं और पिछले एक दशक से यमन में काम कर रही थीं. 2017 में उन्हें यमनी नागरिक तलाल महदी की हत्या का दोषी पाया गया था, और 2018 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई. तब से ही निमिषा को बचाने की कोशिशें की जा रही हैं. "सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल" ने भारत सरकार से मदद की अपील की है. उनके वकील और परिवार ने पीड़ित को "ब्लड मनी" देने की भी पेशकश की है.
निमिषा के वकील सुभाष चंद्रन ने कहा कि वे "ब्लड मनी" के रूप में कोई भी रकम देने को तैयार हैं. उन्होंने यह भी बताया कि मामला काफी जटिल है क्योंकि यमन में हूती विद्रोहियों का शासन है और वहां की स्थिति अस्थिर है. इसलिए निमिषा को रिहा करवाने के लिए भारत सरकार को कड़ी कूटनीतिक कोशिशें करनी होंगी. First Updated : Tuesday, 07 January 2025