छंटनी या फिर अपार्टमेंट की कमी...आखिर क्यों रिकॉर्ड संख्या में स्वीडन से पलायन कर रहे भारतीय

ऐसा पहली बार ऐसा देखने को मिला है कि रिकॉर्ड संख्या में स्वीडन से भारतीय पलायन कर रहे हैं. भारतीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर और स्वीडन-इंडियन बिजनेस काउंसिल के सीईओ अंकुर त्यागी ने इसके पीछे का कारण बताया है. त्यागी का कहना है कि स्वीडन में कई भारतीय को भाषा समझने में संघर्ष करना पड़ता है जिसकी वजह से वो वहां के लोगों से कनेक्ट नहीं हो पाते हैं.

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स्वीडन में अप्रवासन पैटर्न में अप्रत्याशित बदलाव देखने को मिल रहा है क्योंकि भारतीय अप्रवासियों का पलायन काफी तेजी से हो रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक 2024 में जो आंकड़े सामने आए हैं वो चौकाने वाले हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, देश में आने वाले भारतीयों की संख्या देश छोड़ने वालों से ज़्यादा रही है. सांख्यिकी स्वीडन के आंकड़ों के अनुसार, 2024 की पहली छमाही के दौरान स्वीडन से बाहर जाने वाले भारतीयों की संख्या, स्वीडन में आने वाले भारतीयों की संख्या से ज्यादा है.  हालांकि इस बीच सवाल ये उठ रहा है कि आखिर क्यों स्वीडन से बड़ी संख्या में भारतीय देश छोड़कर जा रहे हैं? इसके पीछे का कारण क्या है? तो चलिए इसके बारे में जानते हैं.

स्वीडन में रहने वाले एक भारतीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर और स्वीडन-इंडियन बिजनेस काउंसिल के सीईओ अंकुर त्यागी ने एक्स पर एक पोस्ट शेयर किया है.  इस पोस्ट मे उन्होंने वो कारण भी बताया है जिसकी वजह से भारतीय को स्वीडन से पलायन करना पड़ रहा है. अंकुर त्यागी ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी से बढ़ रही है जिससे अच्छी सैलरी और शानदार करियर के बेहतर अवसर उपलब्ध हो रहे हैं जो भारतीय की घर वापसी का एक कारण है.

क्यों स्वीडन से पलायन कर रहे भारतीय

सॉफ्टवेयर इंजीनियर त्यागी ने स्वीडन में भारतीय पेशेवरों के जीवन साथियों के समक्ष आने वाली चुनौतियों के बारे में भी बताया है.  उन्होंने बताया कि भारतीय को अक्सर स्वीडिश भाषा कौशल की कमी" के कारण रोजगार पाने में काफी स्ट्रगल करना पड़ता है. त्यागी ने एक्स पर लिखा, 'योग्यता और कार्य अनुभव होने के बावजूद, स्वीडिश भाषा के ज्ञान की कमी के कारण कई पति-पत्नी स्वीडन में नौकरी पाने के लिए संघर्ष करते हैं.' वहीं कई लोग ऐसे हैं जो भारत में रह रहे अपने बुजुर्ग माता-पिता के लिए और परिवार के करीब रहने के लिए वापस लौट रहे हैं.

कितने भारतीय छोड़ चुके हैं स्वीडन

जनवरी और जून 2024 के बीच, 2,837 भारतीय मूल के लोगों ने स्वीडन छोड़ दिया है. यह आंकड़ा 2023 की इसी अवधि की तुलना में 171 प्रतिशत ज्यादा है. इस उछाल के साथ भारतीयों को इराक, चीन और सीरिया के लोगों को पीछे छोड़ते हुए प्रवासियों की लिस्ट में टॉप पर पहुंचा दिया है. यह डेटा पिछले सालों की तुलना में एक बड़ा बदलाव है.

पलायन के पीछे का प्रमुख कारण

प्रवास में अचानक वृद्धि के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं. दरअसल, स्वीडन में रहना काफी महंगा हो गया है. इसके अलावा अपार्टमेंट की भी कम है और हाल ही में  तकनीकी क्षेत्र में छंटनी की लहर के कारण भी वहां से भारतीय पलायन करने पर मजबूर हो रहे हैं. इसके अलावा स्वीडिश सरकार के सख्त वर्क परमिट नियमों ने भी विदेशी नागरिकों के लिए चुनौतियों को और बढ़ा दिया है

First Updated : Wednesday, 28 August 2024