Iran New Offer to Trump: अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी के बाद, ईरान ने अपने तेवर बदलते हुए परमाणु डील को लेकर अपनी दिलचस्पी फिर से जताई है. ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई के शीर्ष सलाहकार अली लारीजानी ने ट्रंप प्रशासन से एक नया परमाणु समझौता करने का प्रस्ताव रखा है. यह कदम अमेरिका के साथ रिश्ते बहाल करने के ईरान के सबसे बड़े प्रयासों में से एक माना जा रहा है.
क्या है लारीजानी का प्रस्ताव?
ईरान के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक, अली लारीजानी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि ईरान परमाणु बम बनाने की दिशा में नहीं बढ़ेगा, लेकिन अपनी यूरेनियम संवर्धन क्षमताओं को बनाए रखेगा. उन्होंने सीधे तौर पर ट्रंप के प्रशासन से अपील की और कहा कि या तो वह 2015 में हुए JCPOA (ज्वाइंट कॉम्प्रिहेन्सिव प्लान ऑफ एक्शन) परमाणु समझौते पर वापस लौटें, या फिर अगर वे ऐसा नहीं करना चाहते, तो एक नया समझौता करने के लिए तैयार रहें.
लारीजानी ने कहा, 'अगर आप JCPOA पर वापस नहीं आते, तो हम नए समझौते पर चर्चा के लिए तैयार हैं, लेकिन इस बार हमारे कुछ शर्तें होंगी. हम परमाणु बम बनाने की दिशा में नहीं बढ़ेंगे, लेकिन हमारी संवर्धन क्षमता बनी रहेगी.'
ईरान की परमाणु संवर्धन क्षमता
लारीजानी ने यह भी बताया कि ईरान ने अपनी यूरेनियम संवर्धन क्षमता को 60 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है, जो पश्चिमी देशों के लिए चिंता का विषय बन गया है. हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह क्षमता परमाणु बम बनाने के स्तर तक नहीं है. पश्चिमी शक्तियों के कई नेता और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों का मानना है कि ईरान ने परमाणु संवर्धन के मामले में इतनी प्रगति कर ली है कि वह कभी भी परमाणु हथियार बना सकता है.
JCPOA से अलग होने का असर
2018 में, डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने JCPOA से खुद को अलग कर लिया था, जिसके बाद ईरान पर कई कड़े प्रतिबंध लगा दिए गए थे. अब, ट्रंप की वापसी के बाद ईरान के लिए यह समझौते को फिर से लागू करने का अच्छा अवसर है. ईरान के इस कदम को अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ संबंधों को सामान्य बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है. लारीजानी ने यह भी कहा कि अगर नए अमेरिकी प्रशासन को लगता है कि ईरान बम बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, तो वे अपने संवर्धन को नियंत्रित करने के लिए तैयार हैं, बशर्ते अमेरिका ईरान की शर्तों को माने.
क्या होगा आगे?
ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु डील को लेकर हालात धीरे-धीरे बदल रहे हैं. हालांकि यह देखना होगा कि क्या ट्रंप का प्रशासन ईरान के इस नए प्रस्ताव को स्वीकार करेगा या नहीं. अगर दोनों देशों के बीच फिर से कोई समझौता होता है, तो यह न केवल दोनों देशों के रिश्तों के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा और महत्वपूर्ण कदम होगा.
ईरान का यह प्रस्ताव अमेरिका के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन इसके बाद अगर एक नया समझौता बनता है, तो यह मध्य-पूर्व के भविष्य के लिए अहम साबित हो सकता है. First Updated : Saturday, 23 November 2024