इंटरनेशनल न्यूज. मुस्लिम देशों का नेता बनने की चाहत में ईरान ने कथित तौर पर खुद ही अपना पतन कर लिया है. उसने सीरिया में बहुत सारा पैसा खर्च किया है, लेकिन बदले में उसे कोई लाभ नहीं मिला. ईरान ने हिजबुल्लाह में भी बहुत निवेश किया, लेकिन यह कारगर नहीं हुआ. देश ने गाजा से लेकर लेबनान तक अरबों डॉलर बरबाद कर दिए, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. नतीजतन, ईरान के शीर्ष धार्मिक नेता अयातुल्ला अली खामेनेई अब आलोचनाओं का सामना कर रहे हैं और अलग-थलग पड़ गए हैं. लोग उनके फैसलों पर सवाल उठा रहे हैं कि इतना पैसा खर्च करने के बावजूद ईरान इजरायल के हमले के कारण गाजा, लेबनान, सीरिया में अपनी मौजूदगी खो चुका है.
ईरान को गाजा में पहले ही लग चुके हैं कई झटके
इंस्टीट्यूट फॉर नेशनल सिक्योरिटी स्टडीज (आईएनएसएस) के आधार पर जेरूसलम पोस्ट की एक रिपोर्ट में यह अहम खुलासा हुआा है. रिपोर्ट बताती है कि ईरान ने वर्ष 2000 से सीरिया और लेबनान में लगभग 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 4,30,13,00,00,000 रुपये) खर्च किए हैं. लेकिन बदले में उसे कुछ नहीं मिला. जब सीरिया में बशर अल-असद की सरकार कमजोर पड़ने लगी, तो ईरान की ताकत भी कम हो गई. लेबनान में भी यही हुआ, जहां हिजबुल्लाह के विनाश ने उसे नाकाम कर दिया. ईरान को गाजा में पहले ही झटके लग चुके हैं.
ईरान में जनता का गुस्सा
विदेशी हस्तक्षेपों पर भारी वित्तीय बर्बादी के कारण ईरान में जनता का गुस्सा नए शिखर पर पहुंच गया है. इंस्टीट्यूट फॉर नेशनल सिक्योरिटी स्टडीज (INSS) के वैज्ञानिक बेनी सब्ती ने बताया कि ईरानी जनता गुस्से में है क्योंकि देश को धन की कमी के कारण गंभीर बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है. राजधानी तेहरान में भी दिन में छह घंटे तक बिजली उपलब्ध नहीं है. महंगाई आसमान छू रही है और पीने का साफ पानी दुर्लभ है. कारखानों को प्रदूषणकारी डीजल से चलने वाले जहाजों का उपयोग करने के लिए मजबूर किया जा रहा है. इससे भारी प्रदूषण हो रहा है और शहरों में लॉकडाउन जैसे हालात हैं. घरों से बाहर निकलने पर प्रतिबंध है. सब्ती ने उल्लेख किया कि ईरान की बेरोजगारी दर, जो पहले 23% थी, अब 35% से अधिक हो गई है और जनता इसे सरकार की विफलता के रूप में देखती है.
ईरान इजरायल को लगातार दे रहा चुनौती
ईरान के एक जनरल ने देश की हार को स्वीकार करते हुए स्थिति को स्वीकार किया. जबकि ईरान लगातार इजरायल को चुनौती दे रहा है, जनरल ने कबूल किया कि वे अब जवाबी कार्रवाई करने या इजरायल के खिलाफ आगे की कार्रवाई शुरू करने में असमर्थ हैं. जनता का गुस्सा इस हद तक बढ़ गया है कि वे सरकार को उखाड़ फेंकने पर विचार कर रहे हैं. अब कई लोग आने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर कुछ बदलावों की उम्मीद कर रहे हैं. First Updated : Saturday, 11 January 2025