बढ़ रहा एक और युद्ध का खतरा? चीन और अमेरिका के बीच 'शिप वॉर', जिसमें US खा रहा मात!
अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध और टैरिफ बढ़ाने के बाद, चीन ने जहाज निर्माण में अमेरिका को पीछे छोड़ दिया है. 2024 तक चीन ने इतनी बड़ी संख्या में जहाज बनाए हैं, जितने अमेरिका ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से नहीं बनाए. चीन के पास अब 35 शिपयार्ड हैं, जबकि अमेरिका में सिर्फ 4 और उसकी नौसेना भी अमेरिकी नौसेना से अब कहीं ज्यादा मजबूत हो गई है.

अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक प्रतिद्वंद्विता कोई नई बात नहीं है. लेकिन साल 2024 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद से दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध ने एक नई और तेज दिशा ली है. अब दोनों देश एक दूसरे पर टैरिफ बढ़ाने को लेकर सख्त कदम उठा रहे हैं. जहां एक ओर ट्रंप ने 1 फरवरी को चीन पर 10 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाया, वहीं एक महीने बाद इसे बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया. इसके बाद चीन ने भी पलटवार करते हुए अमेरिका से आने वाले LNG पर 15% और अन्य सामान पर 10% शुल्क लगा दिया. इस व्यापारिक लड़ाई के बीच, चीन ने एक और नई रणनीति अपनाई है, जिसे 'शिप वॉर' के नाम से जाना जा रहा है.
चीन की शिप निर्माण क्षमता में इन्क्रीमेंट
चीन ने जहाजों और युद्धपोतों के निर्माण में अब अमेरिका को पीछे छोड़ दिया है. चीन के सरकारी स्वामित्व वाले सबसे बड़े शिपयार्ड, चाइना स्टेट शिपबिल्डिंग कॉरपोरेशन ने 2024 तक ऐसे इतने कॉमर्शियल जहाज बनाए हैं, जितने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से अब तक अमेरिका ने नहीं बनाए. जिसका मतलब ये हुआ कि चीन ने जहाज निर्माण में वैश्विक हिस्सेदारी में अमेरिका को पछाड़ दिया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 तक चीन की हिस्सेदारी कॉमर्शियल जहाज निर्माण में मात्र 0.11% रह जाएगी, जो अमेरिका की अत्यधिक कम संख्या को दर्शाता है.
अमेरिका और चीन के बीच शिपयार्ड की संख्या में अंतर
चीन में कुल 35 शिपयार्ड सक्रिय हैं, जो अमेरिका के केवल 4 शिपयार्ड से बहुत ज्यादा हैं. चीन के इन शिपयार्ड्स की संख्या और कार्यकुशलता उन्हें दुनिया के सबसे बड़े जहाज निर्माण देशों में से एक बनाती है. इसके विपरीत, अमेरिका और उसके सहायक देशों के जहाज निर्माण उद्योग को चीन की नीतियों से भारी नुकसान उठाना पड़ा है. रिपोर्ट्स की मानें तो, इस नीति के चलते जापान और दक्षिण कोरिया को भी काफी नुकसान हुआ है.
चीन की नौसेना और अमेरिका के मुकाबले
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2000 के दशक की शुरुआत तक अमेरिकी नौसेना के पास चीनी नौसेना से ज्यादा युद्धपोत थे. उस समय अमेरिकी नौसेना के पास 282 युद्धपोत थे, जबकि चीन के पास सिर्फ 220 युद्धपोत थे. लेकिन 2010 के मध्य तक चीन ने अपनी नौसेना को उतनी ताकत दी कि उसने अमेरिका को पीछे छोड़ दिया. आज चीन के पास 370 से ज्यादा युद्धपोत और पनडुब्बियां हैं, जबकि अमेरिका के पास 295 युद्धक जहाज हैं. हालांकि, अमेरिका की नौसेना के पास अब भी गाइडेड मिसाइल क्रूजर और विमानवाहक युद्धपोतों की संख्या में बढ़त है.