बांग्लादेश में ISKCON से अलग किए गए चिन्मय प्रभु, वकील की हत्या और विवादों के आरोपों में घिरे!
बांग्लादेश में वकील की हत्या और राष्ट्रीय ध्वज पर भगवा झंडा फहराने के आरोपों के बाद इस्कॉन बांग्लादेश ने खुद को चिन्मय प्रभु से अलग कर लिया है. संगठन ने इन घटनाओं को बदनाम करने की साजिश बताया है. वहीं, चिन्मय को राजद्रोह के मामले में गिरफ्तार किया गया है. आखिर क्या है इन आरोपों की सच्चाई और इस विवाद का इस्कॉन से कितना जुड़ाव है? जानिए पूरी कहानी!
ISKCON Bangladesh: बांग्लादेश में इस्कॉन (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस) से जुड़े चिन्मय प्रभु को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. ढाका में वकील सैफुल इस्लाम अलिफ की हत्या और अन्य विवादों में नाम आने के बाद इस्कॉन बांग्लादेश ने सार्वजनिक रूप से खुद को चिन्मय प्रभु से अलग कर लिया है.
ढाका में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस्कॉन बांग्लादेश के महासचिव चारु चंद्र दास ब्रह्मचारी ने साफ शब्दों में कहा कि चिन्मय कृष्ण दास को पहले ही संगठन से हटा दिया गया था. उन्होंने कहा, 'इस्कॉन उनके किसी भी कार्य, बयान या गतिविधि के लिए जिम्मेदार नहीं है. यह संगठन को बदनाम करने का प्रयास है.'
चिन्मय कृष्ण दास पर आरोप और गिरफ्तारी
चिन्मय कृष्ण दास, जो पहले चटगांव में श्री श्री पुंडरीक धाम के प्रबंधन से जुड़े थे, को संगठनात्मक अनुशासन तोड़ने के कारण इस्कॉन से हटा दिया गया था. हाल ही में उन्हें ढाका में राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया. आरोप है कि उन्होंने 'सनातन जागरण मंच' के तहत एक रैली के दौरान बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भगवा झंडा फहराया. इसे बांग्लादेश की संप्रभुता का अपमान माना गया और उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ.
"बुरे वक्त में अपने भी साथ छोड़ देते हैं!" जो दुनिया को श्रीमद् भागवत गीता का उपदेश देते हैं, श्री कृष्ण की भक्ति सिखाते हैं, कम से कम उन्हें कायरता नहीं दिखानी चाहिए थी।
इस्कॉन-बांग्लादेश ने चिन्मय कृष्ण दास जी को अस्वीकार कर दिया। कहा कि उनका चिन्मय दास जी साथ कोई संबंध नहीं… pic.twitter.com/2pZ2DhfpmG
— Shubham Shukla (@ShubhamShuklaMP) November 28, 2024
इस घटना के बाद सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर विवाद बढ़ गया. चटगांव की अदालत ने चिन्मय प्रभु को हिरासत में रखने का आदेश दिया. इसके साथ ही, उनके खिलाफ हत्या और सड़क दुर्घटनाओं से जुड़े मामलों में भी नाम आया.
इस्कॉन का बयान
चारु चंद्र दास ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट किया कि संगठन का इन विवादित घटनाओं से कोई संबंध नहीं है. उन्होंने कहा, 'कुछ समूह संगठन को बदनाम करने के लिए गलत आरोप लगा रहे हैं. इस्कॉन का ऐसे किसी भी प्रदर्शन या गतिविधि से कोई लेना-देना नहीं है.'
रैली और भगवा झंडे पर विवाद
चटगांव में आयोजित एक रैली की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद यह मामला सुर्खियों में आया. रैली में बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भगवा झंडा फहराने की तस्वीरों ने देशभर में विवाद खड़ा कर दिया. इसे 'देशद्रोही' हरकत बताया गया और चिन्मय कृष्ण दास समेत 18 अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया.
संगठन ने किया किनारा
इस्कॉन ने यह साफ कर दिया है कि चिन्मय कृष्ण दास अब संगठन का हिस्सा नहीं हैं. महासचिव ने कहा, 'हमारे संगठन के अनुशासन का पालन न करने वालों को बाहर कर दिया गया है. उनके कार्यों के लिए हम जिम्मेदार नहीं हैं.' इस विवाद ने बांग्लादेश में इस्कॉन और हिंदू संगठनों को एक नई चुनौती के रूप में खड़ा कर दिया है. वहीं, संगठन ने प्रशासन और जनता से अपील की है कि बिना किसी तथ्य के इस्कॉन पर आरोप न लगाए जाएं.
यह मामला न केवल कानूनी मुद्दों को जन्म दे रहा है, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर भी कई सवाल खड़े कर रहा है. चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी और विवादों से जुड़े आरोपों ने इस्कॉन की छवि को लेकर गंभीर चर्चा छेड़ दी है. अब देखना होगा कि आगे की जांच और कानूनी प्रक्रिया में क्या खुलासे होते हैं.