Israel-Hamas War: 'युद्ध बच्चों को भी नहीं छोड़ता', मलाला युसुफजई ने की युद्धविराम की अपील
Israel-Hamas War: नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मनित मलाला युसुफजई ने कहा कि जब मैं 11 साल की थी तब मैंने हिंसा और आतंकवाद का सामना किया. अपने स्कूल और मस्जिदों को बम से तबाह होते हुए देखा. युद्ध बच्चों को भी नहीं छोड़ता है.
Israel-Hamas War : इजरायल और हमास के बीच बीते पांच दिनों से जंग जारी है. 7 सितंबर (शनिवार) को हमास के हमले के बाद से इजरायली वायु सेना लगातार गाजा पट्टी पर हवाई हमले कर रही हैं. इस संघर्ष में दोनों पक्षों के अब तक 1800 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है. मरने वालों में ज्यादातर मासूम बच्चे आम नागरिक शामिल है. हमास-इजरायल युद्ध के बीच नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मनित मलाला युसुफजई ने कहा कि युद्ध बच्चों को भी नहीं छोड़ता है. उन्होंने दोनों पक्षों के बीच युद्धविराम की अपील की है.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर मलाला युसुफजई ने लिखा, "पिछले कुछ दिनों से मैं दुखद समाचार देख रही हूं. मैं फिलिस्तीनी और इजरायली बच्चों के बारे में सोच रही हूं, जो इसमें फंस गए हैं." मलाला ने आगे लिखा, "मैं महज 11 साल की थी जब मैंने हिंसा और आतंकवाद का सामना किया. हमने अपने स्कूल और मस्जिदों को बम से तबाह होते देखा. शांति एक ऐसी चीज हो गई जिसका हम सिर्फ सपना ही देख सकते थे."
— Malala Yousafzai (@Malala) October 10, 2023
26 वर्षीय नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला युसुफजई ने लिखा, " युद्ध बच्चों को भी नहीं छोड़ता है, उन्हें भी नहीं जिन्हें इजरायल से अगवा कर लिया गया और उन्हें भी नहीं जो हवाई हमले के बीच गाजा में बिना कुछ खाए-पिए छुपे हुए हैं." बता दें कि मलाला युसुफजई का जन्म पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत के स्वात जिले में हुआ था. उन्होंने पाकिस्तान में महिलाओं की शिक्षा को लेकर आवाज बुलंद की थी. इस वजह से साल 2012 में तालिबानी आतंकियों ने मलाला को निशाना बनाया था.
तालिबानी आतंकियों ने मारी थी गोली
साल 2007 में खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत में तालिबानियों ने लड़कियों की पढ़ाई पर पाबंदी लगा दी थी. महज 11 साल की उम्र में उन्होंने लड़कियों की शिक्षा को लेकर आवाज उठानी शुरू कर दी. इस वजह से मलाला तालिबानियों के निशाने पर आ गई. साल 2012 में तालिबान के आतंकियों ने मलाला के सिर में गोली मार दी थी. मलाला कैसे बची ये बात वो खुद भी नहीं जानती है. इसके बाद भी मलाला शिक्षा को लेकर अपनी आवाज और भी बुलंद की.
16 साल की उम्र में यूएन में दिया था भाषण
2013 में 16 साल की उम्र में मलाला ने लड़कियों की शिक्षा पर संयुक्त राष्ट्र में भाषण दिया था. मुख्यायल में सभी लोगों ने उनकी सराहना की. उस समय दुनियाभर में उनका भाषणा काफी चर्चाओ में रहा था. यूएन में भाषण देने के बाद टाइम मैगजीन ने मलाला को दुनिया के सबसे प्रभावशाली व्यक्तित्व के तौर पर लिस्ट में शामिल किया था. भाषण के एक साल बाद यानी 2014 में मलाला को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.