'आशा है कि इससे शांति आएगी'....भारत ने इजराइल-हिजबुल्लाह युद्धविराम का स्वागत किया!
इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच महीनों से चल रही घातक लड़ाई के बाद एक युद्धविराम समझौता हुआ है. भारत ने इस समझौते का स्वागत करते हुए उम्मीद जताई है कि इससे क्षेत्र में शांति और स्थिरता आएगी. समझौता अमेरिका और फ्रांस की पहल से हुआ और 60 दिन तक प्रभावी रहेगा. हालांकि, इजरायल ने चेतावनी दी है कि अगर हिजबुल्लाह ने शर्तों का उल्लंघन किया तो युद्ध फिर से शुरू हो सकता है. इस समझौते का गाजा युद्ध पर कोई असर नहीं होगा, लेकिन इजराइल-हिजबुल्लाह संघर्ष पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ेगा. अधिक जानकारी के लिए पूरी खबर पढ़ें!
Israel-Hezbollah Ceasefire: इजराइल और लेबनान के आतंकवादी संगठन हिजबुल्लाह के बीच महीनों तक चली घातक लड़ाई के बाद आखिरकार एक युद्धविराम समझौता हो गया है. यह संघर्ष गाजा युद्ध से शुरू हुआ था, जो इस वर्ष सितंबर में और भी तीव्र हो गया था. अब, इस संघर्ष के अंत में भारत ने इसे स्वागत के साथ देखा है और उम्मीद जताई है कि इससे क्षेत्र में शांति और स्थिरता आएगी.
भारत का बयान
भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने बुधवार को इजराइल और लेबनान के हिजबुल्लाह के बीच हुए युद्धविराम का स्वागत किया. मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, 'भारत ने हमेशा तनाव कम करने और कूटनीति के रास्ते पर लौटने की अपील की है. हम उम्मीद करते हैं कि यह समझौता शांति और स्थिरता लाएगा.'
इजरायल-हिजबुल्लाह संघर्ष
इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच यह संघर्ष इजरायल-गाजा युद्ध से उपजा था, जो इस वर्ष की शुरुआत में और बढ़ा. सितंबर में हिजबुल्लाह के कई नेताओं के मारे जाने के बाद यह संघर्ष और भी गंभीर हो गया. लेबनान में इजरायल की बमबारी से पिछले 13 महीनों में 3,760 से अधिक लोग मारे गए हैं, जिनमें से अधिकांश नागरिक थे.
अमेरिका और फ्रांस की भूमिका
यह युद्धविराम समझौता अमेरिका और फ्रांस की संयुक्त पहल के तहत हुआ है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने इस समझौते को स्थायी शांति की दिशा में एक कदम बताया, जबकि इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे इजरायल की सैन्य स्वतंत्रता को बनाए रखते हुए लागू किया जाने की बात कही.
युद्धविराम की शर्तें और प्रभाव
यह समझौता 60 दिनों तक जारी रहेगा, जिसके तहत इजरायली सेना और हिजबुल्लाह आतंकवादी दोनों को दक्षिणी लेबनान से हटना होगा. हालांकि, इजरायल ने साफ किया है कि अगर हिजबुल्लाह इस युद्धविराम समझौते के शर्तों का उल्लंघन करता है तो इजरायल फिर से हमले शुरू कर सकता है.
यह युद्धविराम समझौता गाजा में जारी इजरायल-हमीस संघर्ष पर प्रभाव नहीं डालेगा, लेकिन यह इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच चल रहे 14 महीने लंबे संघर्ष का अंत करेगा.
भारत की प्रतिक्रिया और उम्मीद
भारत ने इस युद्धविराम का स्वागत करते हुए कहा कि यह 'कूटनीतिक प्रयासों' का परिणाम है और इसे शांति की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है. भारत का कहना है कि जब तक संवाद और कूटनीति का रास्ता अपनाया जाएगा, तब तक क्षेत्रीय शांति की उम्मीदें बनी रहेंगी. अब देखना यह है कि इस समझौते के बाद क्या शांति और स्थिरता के प्रयासों में सफलता मिलती है या नहीं और क्या यह लंबे समय तक प्रभावी रहेगा.