इजरायल ने 25 दिनों बाद ईरान से लिया बदला, 100 फाइटर जेट्स के साथ 20 सैन्य ठिकानों पर दागी मिसाइल

israel iran conflict: इजरायल ने 25 दिनों बाद ईरान के मिसाइल हमले का जवाब देते हुए 26 अक्टूबर को 100 फाइटर जेट्स के साथ ईरान के 20 सैन्य ठिकानों पर मिसाइल स्ट्राइक की. इस ऑपरेशन का नाम ऑपरेशन डेज ऑफ रिपेंटेंस रखा गया है. इजरायल ने इस हमले के लिए उन्नत फाइटर जेट्स का इस्तेमाल किया, जिनमें से हर एक की अपनी विशेषताएं हैं.

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Israel Iran Conflict: इजरायल ने आखिरकार ईरान से अपना बदला ले लिया है.  इजरायली सेना ने 25 दिनों बाद ईरान के मिसाइल हमले का जवाब दिया है. आज यानी  26 अक्टूबर की सुबह, इजरायल ने 100 फाइटर जेट्स के साथ ईरान के 20 सैन्य ठिकानों पर मिसाइल स्ट्राइक की. इस ऑपरेशन का नाम 'ऑपरेशन डेज ऑफ रिपेंटेंस' रखा गया है, जिसका मतलब है 'पछतावे के दिन.'

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल ने ईरान के आर्मी बेस पर सटीक हमले करने के लिए उन्नत फाइटर जेट्स और मिसाइलों का इस्तेमाल किया.  इस हमले को तीन चरणों में अंजाम दिया गया, जिसमें पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का उपयोग किया गया. 

इन फाइटर जेट्स और मिसाइलों का इस्तेमाल

F-35: यह जेट वर्टिकल टेकऑफ और लैंडिंग कर सकता है. इसकी अधिकतम गति 1975 किलोमीटर प्रति घंटा है और यह 50 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ सकता है.

F-15I Ra'am: इसे F-15 स्ट्राइक ईगल के नाम से भी जाना जाता है. इसकी अधिकतम गति 2656 किलोमीटर प्रति घंटा है. इसका कॉम्बैट रेंज 1272 किलोमीटर और फेरी रेंज 3900 किलोमीटर है, और यह 60 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ सकता है.

F-16I 'Sufa': इस फाइटर जेट को उड़ाते समय पायलट को बटन दबाने की जरूरत नहीं होती. वह सिर्फ दुश्मन की ओर देखता है, और हेलमेट में लगे सिस्टम के माध्यम से दुश्मन का टारगेट नष्ट हो जाता है. इसका हेलमेट सिस्टम जेट के राडार और हथियार प्रणाली से जुड़ा रहता है.

क्या है इनकी मारक क्षमता?

ये तीनों फाइटर जेट लगभग दो हजार किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकते हैं. इनमें Rampage नामक एक लंबी दूरी की प्रेसाइस सुपरसोनिक मिसाइल का भी इस्तेमाल किया गया है. यह मिसाइल 15 फीट लंबी और 570 किलोग्राम वजन की होती है, और इसे GPS के माध्यम से लक्ष्य पर भेजा जाता है. यह विशेष रूप से ईरान के S-300 डिफेंस सिस्टम के खिलाफ बनाई गई है.

इसके अलावा, इजरायल ने 'रॉक्स' नाम की नई पीढ़ी की सुपरसोनिक मिसाइल का भी इस्तेमाल किया, जिसे इजरायली कंपनी राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम ने विकसित किया है. ROCKS मिसाइल GPS-निषेधित क्षेत्रों में उच्च गति वाले टारगेट पर हमला करने के लिए डिज़ाइन की गई है. ये सभी मिसाइलें एयर-टू-सरफेस श्रेणी की हैं.

आयल रिजर्व को नहीं बनाया निशाना 

इजरायली सेना ने युद्ध को गंभीर स्तर तक बढ़ने से रोकने के लिए ईरान के तेल भंडार और परमाणु स्थलों को निशाना नहीं बनाया. इजरायल ने अपने हमलों के लिए ईरान के सैन्य ठिकानों को चुना. 100 फाइटर जेट की मदद से ईरान के 20 मिसाइल और ड्रोन स्थलों पर तीन चरणों में हमला किया गया. पहले चरण में ईरान के एयर डिफेंस सिस्टम को नष्ट करने के लिए रडार को निशाना बनाया गया, इसके बाद लगातार मिसाइलें सैन्य ठिकानों पर दागी गईं.

ड्रोन ठिकानों पर भी किया अटैक 

इजरायली हमले के अंतिम चरण में ईरान के ड्रोन ठिकानों पर भी हमला किया गया. इजरायल के फाइटर जेट्स ने 25-30 के समूह में हमला किया, जिसमें से 10 जेट मिसाइलें चला रहे थे जबकि बाकी उन्हें कवर प्रदान कर रहे थे. इस ऑपरेशन के दौरान इजरायल और अमेरिका के एयर डिफेंस सिस्टम को जवाबी हमलों से निपटने के लिए हाई अलर्ट पर रखा गया था.

ईरान का दावा

ईरान के अनुसार, उनके एयर डिफेंस सिस्टम ने तेहरान, खुजस्तान और इलाम राज्य में इजरायल के हमलों का मुकाबला किया. उनका कहना है कि कुछ स्थानों पर सीमित नुकसान हुआ है. First Updated : Saturday, 26 October 2024