देश में इन दिनों एक मुद्दा काफी चर्चा का विषय बना हुआ है. जिसमें कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानदारों को अपना नाम प्रदर्शित करने को कहा गया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अंतरिम आदेश जारी कर उत्तर प्रदेश सरकार के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानदारों को अपना नाम प्रदर्शित करने को कहा गया था. कोर्ट ने कहा कि दुकानदार केवल यह प्रदर्शित करेंगे कि उनके भोजनालयों में किस तरह का भोजन परोसा जाता है.
अब ये मामला देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल 'कांवड़ यात्रा में नामपट्टिका' मुद्दे पर, अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर से एक पाकिस्तानी पत्रकार ने सवाल कर दिया. जिसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि 'हमने उन रिपोर्टों को देखा है. हमने उन रिपोर्टों को भी देखा है कि भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने 22 जुलाई को उन नियमों पर अंतरिम रोक लगा दी है. इसलिए वे वास्तव में प्रभावी नहीं हैं.'
आगे उन्होंने कहा कि आम तौर पर, हम हमेशा दुनिया में कहीं भी सभी के लिए धर्म और विश्वास की स्वतंत्रता के अधिकार के लिए सार्वभौमिक सम्मान को बढ़ावा देने और उसकी रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, और हमने सभी धर्मों के सदस्यों के लिए समान व्यवहार के महत्व पर अपने भारतीय समकक्षों के साथ बातचीत की है.
बता दें कि सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में उत्तर प्रदेश प्रशासन के फैसले पर रोक लगा दी. कोर्ट ने कहा- दुकानदारों को अपनी पहचान बताने की जरूरत नहीं है. सिर्फ खाने का प्रकार शाकाहारी या मांसाहारी स्पष्ट रूप से लिखा होना चाहिए. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी किया है.
कांवड़ यात्रा को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ ने 19 जुलाई को अधिकारियों को निर्देश जारी किया था कि कांवड़ यात्रा में पड़ने वाली सभी खाने की दुकानों पर उसके मालिक और संचालक का नाम लिखना अनिवार्य कर दिया. साथ ही हलाल प्रोडक्ट बेचने वालों पर भी कार्रवाई के आदेश जारी किए थे.जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अब रोक लगा दी है.