केरल की नर्स को यमन में होगी फांसी, परिवार की हर कोशिश नाकाम...जानें आखिर ऐसा क्यों हुआ

केरल से पैसे कमाने यमन गई नर्स निमिषा प्रिया के साथ आखिर ऐसा क्या हुआ था, जिसकी वजह से अपना क्लीनिक खोलने का सपना देख रही नर्स फांसी के फंदे तक पहुंच गई.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

यमन में रह रही भारतीय नर्स को फांसी की सजा सुनाई गई है. यमन के राष्ट्रपति रशद अल-अलीमी ने नर्स निमिषा प्रिया की मौत की सजा को मंजूरी दे दी है. न ही ब्लड मनी पर बात बन सकी और न ही राष्ट्रपति से माफी मिल पाई. निमिषा एक यमनी नागरिक की हत्या के लिए 2017 से जेल की सजा काट रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उसकी फांसी की सजा पर एक महीने के भीतर अमल किया जाएगा. विदेश मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि भारत को यमन में निमिषा प्रिया को दी जा रही सजा की जानकारी है.

भारत हर संभव मदद कर कहा

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने एक बयान जारी कर कहा, "हम जानते हैं कि नर्स प्रिया के परिवार को प्रासंगिक विकल्प की तलाश है. सरकार इस मामले में उनकी हर संभव मदद कर रही है."  यमन के राष्ट्रपति का फैसला उस परिवार के लिए एक झटका है, जो अपनी 36 साल की बेटी को मौत की सज़ा से बचाने की कोशिश कर रहा था. नर्स प्रिया की 57 साल की मां प्रेमा कुमारी इस साल की शुरुआत में यमन की राजधानी सना पहुंची थीं. वह तब से कथित तौर पर बेटी की मौत की सजा में छूट पाने और पीड़ित परिवार के साथ ब्लड मनी पर बातचीत कर रही थीं.

ब्लड मनी पर नहीं बनी बात

पिछले साल सितंबर में यमन की राजधानी सना स्थित भारतीय दूतावास द्वारा नियुक्त वकील अब्दुल्ला अमीर ने बातचीत शुरू करने के लिए प्री-नेगोशिएशन फीस (16.60 लाख रुपये) की दूसरी किस्त का तुरंत भुगतान करने की मांग की थी. रिहाई के प्रयास तब रुक गए जब उन्हें बताया गया कि यह राशि ट्रांसफर होने के बाद ही बातचीत शुरू होगी. 4 जुलाई को भारतीय विदेश मंत्रालय के जरिये वकील को 19,871 डॉलर की पहली किस्त सौंपी गई. वकील ने शुरू में कहा था कि बातचीत शुरू करने के लिए कुल 40,000 डॉलर की जरूरत है और इसे दो किस्तों में भुगतान किया जाना चाहिए.

 

'सेव निमिषा प्रिया एक्शन काउंसिल' ने पिछले साल जून में उनकी रिहाई पर बातचीत के लिए विदेश मंत्रालय के खाते में 16.71 लाख रुपये जमा किए थे. निमिषा प्रिया की मां प्रेमकुमारी ने भी बेटी की रिहाई के लिए डील पर बातचीत के लिए दूतावास के बैंक खाते के माध्यम से 40,000 डॉलर ट्रांसफर करने की अनुमति मांगी थी. इस अनुरोध को विदेश मंत्रालय ने मंजूरी दे दी थी.

बेटी की रिहाई के लिए यमन गई थीं निमिषा की मां

पलक्कड़ जिले की मूल निवासी निमिषा प्रिया को तलाल अब्दो मेहदी नामक यमनी नागरिक की हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी. यह घटना 2017 में हुई थी. निमिषा की मां प्रेमकुमारी मृतक यमनी नागरिक के परिवार से मिलने और बेटी की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए यमन गई थीं. 

निमिषा प्रिया केस के बारे में जानिए

नर्स निमिषा प्रिया को साल 2017 में यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या का दोषी पाया गया था. उनको एक साल बाद यमन की एक ट्रायल कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी. नर्स का परिवार तब से बेटी की रिहाई के लिए संघर्ष कर रहा है. ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ उन्होंने यमिन के सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था. लेकिन साल 2023 में उनकी अपील खारिज हो गई. अब यमन के राष्ट्रपति ने भी उनकी अपील को खारिज कर दिया है. नर्स की रिहाई पीड़ित परिवार और उनके आदिवासी नेताओं से माफी हासिल करने पर निर्भर थी.

कौन हैं निमिषा प्रिया?

निमिषा प्रिया केरल के पलक्कड़ की रहने वाली हैं. वह पेशे से नर्स हैं. उन्होंने कुछ साल तक यमन के प्राइवेट अस्पतालों में काम किया. उनके पति और नाबालिग बेटी फाइनेंशियल कारणों ले साल 2014 में भारत वापस आ गए थे. उसी साल यमन गृह युद्ध की चपेट में आ गया, जिसकी वजह से नए वीजा जारी करना बंद हो गया और दोनों ही निमिषा के पास वापस नहीं जा सके.  

साल 2015 में निमिषा प्रिया ने सना में अपना क्लिनिक बनाने के लिए अपने साथी तलाल अब्दो महदी से समर्थन मांगा, क्योंकि यमन के कानून के मुताबिक, सिर्फ वहां के नागरिकों को ही क्लिनिक और व्यावसायिक फर्म बनाने की परमिशन मिलती है. लेकिन दोनों का झगड़ा हो गया था. नर्स के परिवार का कहना है कि अब्दो ने फंड में हेराफेरी की थी. निमिषा ने इसका विरोध किया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब्दो ने निमिषा का पासपोर्ट जब्त कर लिया था और उशकी शादी की तस्वीरें भी चुरा ली थीं. वह तस्वीरों में हेरफेर कर नर्स से शादी का दावा कर रहा था. 

नर्स निमिषा ने अपना पासपोर्ट हासिल करने के लिए अब्दो को बेहोशी का इंजेक्शन लगाया था. लेकिन दवा की डोज ज्यादा होने की वजह से उसकी मौत हो गई थी. यमन से भागने की कोशिश के दौरान ही निमिषा को गिरफ्तार कर लिया गया था. साल 2018 में उसे हत्या का दोषी ठहराया गया था. 2020 में उसे मौत की सजा सुनाई गई थी. यमन की सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने नवंबर 2023 में उनकी अपील को खारिज कर दिया था. उसके बाद उनके पास आखिरी विकल्प सिर्फ ब्लड मनी का ही बचा था.

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31 December 2024, 11:43 AM IST

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