India Sovereignty Challenged: न्यूजीलैंड सरकार ने शनिवार (17 नवंबर) को ऑकलैंड में खालिस्तानी समर्थकों द्वारा आयोजित 'जनमत संग्रह' को लेकर बयान जारी किया, जिसमें उसने भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की बात कही. यह कदम उस समय उठाया गया जब सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के नेतृत्व में खालिस्तानी चरमपंथियों ने न्यूजीलैंड के एओटिया स्क्वायर में खालिस्तान की मांग के समर्थन में एक जनमत संग्रह आयोजित किया था.
इस पर न्यूज़ीलैंड सरकार ने स्पष्ट किया कि वह भारत की संप्रभुता को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है और वह हमेशा शांतिपूर्ण, वैध आंदोलनों का समर्थन करती है, बशर्ते वे किसी भी तरह की हिंसा या असहमति को बढ़ावा न दें.
न्यूजीलैंड सरकार का आधिकारिक बयान
न्यूजीलैंड के विदेश मंत्रालय ने WION से बातचीत करते हुए कहा कि वह इस तथाकथित 'जनमत संग्रह' से अवगत है और इसके आयोजन को लेकर सरकार का रुख साफ है. मंत्रालय ने कहा कि न्यूजीलैंड 'घरेलू और वैश्विक स्तर पर मानवाधिकारों का प्रबल समर्थक है', लेकिन उसने यह भी जोड़ा कि ऐसी पहलें 'वैध और शांतिपूर्ण' होनी चाहिए. यानी, यदि किसी आंदोलन में हिंसा या गैरकानूनी गतिविधियां शामिल होती हैं तो उसे सहन नहीं किया जाएगा.
विरोध और आलोचना
खालिस्तानी जनमत संग्रह के आयोजन के बाद भारतीय समुदाय में नाराजगी फैल गई. भारतीय समुदाय ने इस आयोजन को भारतीय संप्रभुता का उल्लंघन मानते हुए आलोचना की. भारतीय राजनयिकों ने भी इस पर आपत्ति जताई और इसे भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप के रूप में देखा. वहीं, न्यूजीलैंड पुलिस ने विरोध प्रदर्शन करने वालों को 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' के तहत अनुमति दी थी, जिसके चलते विरोध करने का अधिकार देने को लेकर विवाद उठने लगा.
ऑकलैंड में खालिस्तानी विरोध प्रदर्शन
विरोध प्रदर्शन के दौरान, एक श्वेत व्यक्ति ने खालिस्तानी समर्थकों के समूह का सामना किया और उन्हें भारत विरोधी झंडा उठाने के लिए कड़ी चेतावनी दी. उस व्यक्ति ने कहा, 'आप यह क्यों सोचते हैं कि आप इस देश में आकर अपने देश का विरोध कर सकते हैं, जबकि न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के सैनिक विदेशी धरती पर शहीद हुए हैं?' उन्होंने खालिस्तान के झंडे को देखकर यह कहा कि इनका भारत विरोधी आंदोलन न्यूजीलैंड जैसे देश में नहीं चल सकता.
न्यूजीलैंड सरकार का रुख
हालांकि न्यूजीलैंड सरकार ने खालिस्तानी विरोध प्रदर्शनों को शांतिपूर्वक आयोजित करने की अनुमति दी थी, लेकिन अब यह सवाल उठता है कि क्या देश में खालिस्तान समर्थकों के आंदोलन बढ़ते जाएंगे और क्या न्यूजीलैंड को इसे रोकने के लिए कुछ कड़े कदम उठाने होंगे? वहीं, भारतीय समुदाय का कहना है कि उन्हें न्यूजीलैंड सरकार से पूरी उम्मीद है कि वह भारत की संप्रभुता का सम्मान करती रहेगी और इन तरह के विरोध प्रदर्शनों पर कड़ी नजर रखेगी.
क्या होगा भारत-न्यूजीलैंड रिश्तों पर असर?
इस घटनाक्रम ने भारत और न्यूजीलैंड के रिश्तों में एक नई चुनौती पेश की है. जहां एक तरफ न्यूजीलैंड सरकार भारत के प्रति सम्मान जताने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी तरफ खालिस्तानी आंदोलन को लेकर भारत में गहरी चिंता है. भविष्य में इस तरह की घटनाओं के बाद दोनों देशों के बीच राजनीतिक और कूटनीतिक रिश्तों पर किस तरह का असर पड़ेगा, यह देखना होगा. First Updated : Monday, 18 November 2024