सत्ता का डर या फिर मौत का खौफ! अचानक खामेनेई ने बेटे को क्यों बनाया ईरान का सुप्रीम लीडर

ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई ने अपने दूसरे बेटे मोजतबा खामेनेई को चुपचाप उत्तराधिकारी नियुक्त कर दिया है. कहा जा रहा है कि खामेनेई की तबीयत खराब होने की वजह से यह फैसला किया गया है. बता दें कि खामेनेई 85 साल के हैं और काफी समय से बीमार चल रहे हैं.

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ईरान की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. इजराइल के साथ बढ़ते तनाव और देश की बदलती परिस्थिति के बीच यह खबर आई है कि ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई ने अपने बेटे मोजतबा खामेनेई को उत्तराधिकारी चुना है. रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि 85 साल के खामेनेई अब अपनी सेहत की बिगड़ती स्थिति के कारण इस फैसले के लिए मजबूर हुए हैं.

26 सितंबर को एक सीक्रेट बैठक में इस फैसले को मंजूरी दी गई थी. कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि उनकी सेहत बहुत खराब हो गई है, और वह कोमा में चले गए हैं. ऐसे में सत्ता का सुचारू हस्तांतरण सुनिश्चित करने के लिए खामेनेई ने अपने बेटे को उत्तराधिकारी चुना.

क्यों मोजतबा खामेनेई बने उत्तराधिकारी?

मोजतबा खामेनेई का शासन में पिछले दो सालों में बढ़ता प्रभाव देखा गया है. हालांकि वह सार्वजनिक रूप से कम ही नजर आते हैं, लेकिन 2009 में विरोध प्रदर्शनों को दबाने में उनकी भूमिका के कारण वह जाने जाते हैं. इसके अलावा वो 1987 से 1988 तक ईरान-इराक युद्ध में हिस्सा लिया था.  2021 में मोजतबा को "अयातुल्ला" की उपाधि भी मिली, जो उन्हें सुप्रीम लीडर बनने के योग्य बनाती है.

सीक्रेट बैठक में लिया गया फैसला

मोजतबा खामनेई को ईरान का सुप्रीम लीडर बनाने का फैसला एक सीक्रेट बैठक में लिया गया था. यह बैठक खामेनेई के निर्देश पर हुई थी, जिसमें 60 सदस्यीय विधानसभा ने मोजतबा को उनके पिता का उत्तराधिकारी चुना. रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बैठक के दौरान खामेनेई और उनके प्रतिनिधियों ने सदस्यीय विधानसभा पर निर्णय के लिए दबाव डाला. इस निर्णय को गुप्त रखने का निर्णय इसलिए लिया गया, ताकि जनता में असंतोष और विरोध न हो.

विरोध से बचने की कोशिश

ईरान इंटरनेशनल की रिपोर्ट बताती है कि यह फैसला गुप्त रखा गया ताकि जनता में असंतोष न फैले. सरकार ने अभी तक इस मामले में आधिकारिक तौर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन खामेनेई की योजना है कि वह सत्ता का हस्तांतरण अपने जीवित रहते ही कर दें ताकि किसी भी तरह का विरोध न हो. हालांकि, इस बदलाव का ईरान की जनता पर गहरा असर पड़ सकता है.  First Updated : Monday, 18 November 2024