लेडी डेथ: दुनिया की सबसे खतरनाक महिला स्नाइपर, जिसने 309 नाजियों को किया ढेर!

क्या आपने कभी सोचा है कि एक महिला ने अकेले 309 नाजियों को कैसे मारा? ल्यूडमिला पावलिचेंको, जिसे 'लेडी डेथ' के नाम से जाना जाता है, ने द्वितीय विश्व युद्ध में सोवियत संघ की रेड आर्मी के लिए जर्मन सैनिकों को नाकों चने चबवा दिए। उनकी सटीक निशानेबाजी से नाजी भी डरते थे और जब वे यह नहीं रोक पाए, तो उन्होंने ल्यूडमिला को रिश्वत देने का भी प्रयास किया! क्या था वो साहस, जो पावलिचेंको को बना दिया दुनिया की सबसे खतरनाक महिला स्नाइपर? जानिए उसकी बहादुरी और संघर्ष की अद्भुत कहानी!

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Edited By: Aprajita

Lady Death: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, सोवियत संघ की एक महिला स्नाइपर ने नाजी जर्मन सेना को खौफ में डाल दिया। नाम था ल्यूडमिला पावलिचेंको, जिन्हें उनकी आश्चर्यजनक निशानेबाजी के कारण 'लेडी डेथ' कहा जाता था। उनका निशाना इतना सटीक था कि नाजी सैनिक भी उनके नाम से कांपते थे। अकेले उन्होंने 309 नाजियों को मार गिराया, और उनके बारे में सुनते ही जर्मन सेना के हौसले पस्त हो जाते थे।

नर्स बनने का सुझाव और संघर्ष का आरंभ

ल्यूडमिला पावलिचेंको की कहानी एक साधारण लड़की से एक सशक्त और शत्रु को नष्ट करने वाली महिला में बदलने की है। जब उन्होंने सोवियत संघ की रेड आर्मी में भर्ती होने का निश्चय किया, तो उन्हें पहले नर्स बनने की सलाह दी गई, क्योंकि उस समय एक महिला का लड़ाई के मैदान में होना असामान्य था। हालांकि, पावलिचेंको ने इस सोच को चुनौती दी और अपने निशानेबाजी के कौशल से सबको हैरान कर दिया। उन्होंने अपनी क्षमता साबित करने के लिए खुद को एक परीक्षण में शामिल किया और एक ही बार में दो दुश्मनों को मार गिराया।

स्नाइपर की शिकार: 309 नाजियों की मौत

उनकी मेहनत और बहादुरी ने उन्हें एक सशक्त स्नाइपर बना दिया। 25वें कैपेयेक राइफल डिवीजन में तैनात होने के बाद, पावलिचेंको ने ओडेसा में 75 दिन के अंदर 187 नाजियों को ढेर किया। फिर उन्हें क्रीमिया भेजा गया, जहां उनकी प्रतिभा और भी निखरी। उन्हें काउंटर-स्नाइपिंग (दुश्मन के स्नाइपर्स से मुकाबला) की सबसे खतरनाक जिम्मेदारी दी गई, और उन्होंने हर बार जीत हासिल की।

जर्मन सेना ने दी रिश्वत: पावलिचेंको का साहसिक जवाब

ल्यूडमिला पावलिचेंको की निशानेबाजी से नाजी जर्मनी इतने डर गए थे कि उन्होंने उन्हें अपनी ओर खींचने के लिए बड़ी रिश्वत की पेशकश की, लेकिन पावलिचेंको ने इसे ठुकरा दिया। उनका कहना था कि उनका इरादा सिर्फ और सिर्फ अपनी मातृभूमि के लिए लड़ने का है। और यह साहसिक महिला सोवियत संघ की सबसे बड़ी नायिका बनीं।

अमेरिका तक पहुंची पावलिचेंको की प्रसिद्धि

पावलिचेंको की बहादुरी का नाम अब दुनिया भर में गूंजने लगा था। 1942 में, अमेरिका के राष्ट्रपति फ्रैंकलिन रूजवेल्ट ने उन्हें व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया। वहां उनका स्वागत किया गया और वह पहली सोवियत महिला बनीं जिन्हें व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया गया। उनकी मित्रता अमेरिका की प्रथम महिला एलेनोर रूजवेल्ट के साथ गहरी हुई, और पावलिचेंको ने कई अमेरिकी शहरों का दौरा किया।

ल्यूडमिला पावलिचेंको: एक प्रेरणा

ल्यूडमिला पावलिचेंको की कहानी न केवल एक महिला की बहादुरी का प्रतीक है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है, जो अपनी स्थिति या परिस्थिति से घबराकर हार मान लेते हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया कि संघर्ष और साहस से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। ल्यूडमिला पावलिचेंको की वीरता आज भी लोगों के दिलों में जिन्दा है। उनका नाम हमेशा इतिहास में अमर रहेगा, क्योंकि उन्होंने न केवल एक अद्भुत स्नाइपर के रूप में खुद को साबित किया, बल्कि एक साहसी महिला के रूप में भी।

वह केवल एक महिला नहीं, एक शेरनी थीं, जिसने नाजियों को उनके ही खेल में हराया।

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04 January 2025, 06:33 PM IST

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