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जमीन पर बैठाया और चार लोगों को सरेआम गोलियों से भून दिया...इस मुस्लिम देश में दी गई खौफनाक सजा

रिपोर्ट के अनुसार, तीन अलग-अलग प्रांतों में दी गई फांसी के साथ ही 2021 से अब तक सार्वजनिक रूप से मौत की सजा दिए जाने वाले लोगों की संख्या 10 हो गई है. 1996 से 2001 तक तालिबान के प्रथम शासन के दौरान सार्वजनिक फांसी आम बात थी, जिनमें से अधिकांश खेल स्टेडियमों में सार्वजनिक रूप से दी जाती थीं.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

अफगानिस्तान में सरेआम लोगों को सजा देना आम बात है. ताबिलानी सरकार में लोगों को सरेआम गोलियों से भून देना, चौराहे पर फांसी देने के मामलों में बढ़ोतरी हुई है. अफगानिस्तान में चार लोगों को सार्वजनिक रूप से फांसी दे दी गई. अफगानिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शुक्रवार को चार लोगों को सार्वजनिक रूप से फांसी दी गई, जो तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद से एक दिन में दी गई फांसी की सबसे अधिक संख्या है.

रिपोर्ट के अनुसार, तीन अलग-अलग प्रांतों में दी गई फांसी के साथ ही 2021 से अब तक सार्वजनिक रूप से मौत की सजा दिए जाने वाले लोगों की संख्या 10 हो गई है. 1996 से 2001 तक तालिबान के प्रथम शासन के दौरान सार्वजनिक फांसी आम बात थी, जिनमें से अधिकांश खेल स्टेडियमों में सार्वजनिक रूप से दी जाती थीं.

उन्हें बैठने के लिए कहा गया

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि बदगीस प्रांत के मध्य स्थित कला-ए-नव में दर्शकों के सामने पीड़ितों के एक पुरुष रिश्तेदार ने दो व्यक्तियों को लगभग छह या सात बार गोली मारी. 48 वर्षीय दर्शक मोहम्मद इकबाल रहीमयार ने बताया, "उन्हें बैठने के लिए कहा गया और उन्होंने हमारी ओर पीठ कर ली. पीड़ितों के परिवारों के रिश्तेदार पीछे खड़े होकर उन्हें बंदूक से गोली मार दी."

सर्वोच्च अदालत ने एक बयान में कहा कि इन लोगों को अन्य लोगों पर गोली चलाने के लिए 'प्रतिशोधात्मक सजा' दी गई है, क्योंकि उनके मामलों की बहुत बारीकी से और बार-बार जांच की गई थी. इसमें कहा गया है कि पीड़ितों के परिवारों ने इन लोगों को माफी देने का प्रस्ताव ठुकरा दिया.

35 वर्षीय एक व्यक्ति जबीहुल्लाह बताया, "यदि पीड़ित के परिवार ने उन लोगों को माफ कर दिया होता तो बेहतर होता, अन्यथा यह ईश्वर का आदेश है और इसे लागू किया जाना चाहिए." गुरुवार को व्यापक रूप से जारी आधिकारिक नोटिस में अफगानों को "इस कार्यक्रम में भाग लेने" के लिए आमंत्रित किया गया था. सर्वोच्च अदालत ने कहा कि तीसरे व्यक्ति को निमरोज प्रांत के जरंज में तथा चौथे व्यक्ति को इसी नाम के पश्चिमी प्रांत के फराह शहर में फांसी दी गई.

जाविद नाम के एक अन्य 30 वर्षीय दर्शक ने तालिबान सरकार के आधिकारिक नाम का जिक्र करते हुए कहा कि यह अच्छी बात है कि इस्लामिक अमीरात अपनी राजनीति और ताकत दिखा रहा है. मैं इससे बहुत खुश हूं.

आंख के बदले आंख

पिछली फांसी नवंबर 2024 में दी गई थी, जब पूर्वी पकतिया प्रांत की राजधानी गरदेज़ के एक स्टेडियम में उच्च पदस्थ तालिबान अधिकारियों सहित हजारों दर्शकों के सामने एक दोषी हत्यारे को पीड़ित के परिवार के एक सदस्य ने सीने में तीन बार गोली मारी थी.

शारीरिक दंड कोड़े मारनाः तालिबान प्राधिकारियों के अधीन आम बात रही है और इसका प्रयोग चोरी, व्यभिचार और शराब पीने जैसे अपराधों के लिए किया जाता रहा है. हालांकि, सभी फांसी के आदेशों पर तालिबान के एकांतप्रिय सर्वोच्च नेता हिबतुल्लाह अखुंदजादा के हस्ताक्षर होते हैं, जो आंदोलन के गढ़ कंधार में रहते हैं.

अखुंदज़ादा ने 2022 में न्यायाधीशों को तालिबान सरकार की इस्लामी कानून की व्याख्या के सभी पहलुओं को पूरी तरह से लागू करने का आदेश दिया, जिसमें आंख के बदले आंख की सजा भी शामिल है, जिसे क़िसास के रूप में जाना जाता है, जो हत्या के अपराध के प्रतिशोध में मृत्युदंड की अनुमति देता है.

 

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11 April 2025, 07:56 PM IST

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