कैसे एक आम कैप्टन बन गया नवाज शरीफ का दामाद? जानिए मरियम और सफदर की Love Story
Maryam Nawaz Punjab CM नवाज शरीफ ने मरियम नवाज के नाम को पंजाब के मुख्यमंत्री के तौर पर ऐलान कर दिया है. इस मौके पर हम आपको मरियम नवाज की शादी की कहानी बताने जा रहे हैं, जो बेहद दिलचस्प है.
Maryam Nawaz Punjab CM: पाकिस्तान में आम चुनाव खत्म हो चुके हैं. खबरें हैं कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज), पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) और मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट (MQM) मिलकर केंद्र में सरकार बनाने जा रहे हैं और शहबाज शरीफ ही प्रधानमंत्री होंगे. इसके अलावा नवाज़ शरीफ ने पंजाब राज्य में अपनी बेटी मरियम नवाज को मुख्यमंत्री के तौर पर ऐलान किया है. मरियम पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बड़ी बेटी हैं. इस मौके पर हम आपको मरियम नवाज की लव स्टोरी के बारे में बताने जा रहे हैं. मरियम नवाज की शादी कैप्टन मोहम्मद सफरदर अवान से 1992 में हुई थी. जब मरियम सिर्फ 19 वर्ष की थीं. दोनों की शादी का किस्सा बेहद अजीब और दिलचस्प है.
कौन हैं मरियम के पति कैप्टन सफदर?
एक दिन कैप्टन सफ़दर ने प्रधानमंत्री के सैन्य सचिव से अपनी मां की बामीरी की वजह से छुट्टी ली और गांव चले गए. हैरानी की बात यह कि नवाज शरीफ ने उन्हें ड्यूटी पर ना देखते हुए सवाल कर लिया कि सफदर कहां है? ऐसे में उन्हें बताया गया कि वह अपनी मां की बीमारी के कारण छुट्टी पर गये हैं. एक इंटरव्यू में बातचीत के दौरान कैप्टन सफदर बताते हैं कि मैं जिस वक्त घर पर था तो मेरे फोन की घंटी बजी, मेरे पिता फोन उठाया, फोन के दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ थे. उन्होंने मेरे पिता से फोन पर बात की और मेरी मां के सेहत के बारे में जाना. बात यहीं खत्म नहीं होती, अगले दिन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पत्नि बेगम कुल्सूम नवाज़ ने फोन किया और उन्होंने भी मेरी मां की सेहत के बारे में पूछा.
इसी तरह एक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का काफिला आज के खैबर पख्तूनख्वा के नारान जिले की कगान घाटी की ओर बढ़ रहा था. कैप्टन सफदर ड्राइवर के बगल वाली सीट पर बैठे थे. उस दिन प्रधानमंत्री के साथ उनकी पत्नी कुलसूम नवाज भी कार में मौजूद थीं. यहां से गुजरते वक्त एडीसी प्रधानमंत्री और प्रथम महिला को इलाके के बारे में जानकारी दे रहे थे तभी अचानक नवाज शरीफ की पत्नी कहती हैं, "यह घाटी कितनी सुंदर है."
जवाब में सफदर कहते हैं, "हां मैम, ये घाटी बेहद खूबसूरत है. मेरा बचपन इसी जगह पर खेलकूद में बीता है."
इसके बाद कुलसूम पूछती हैं,"ओह सच में, तुम्हारा घर यहां से कितनी दूर है?"
सफदर जवाब देते हैं ,"मैडम, यह यहां से बहुत करीब है."
बस फिर क्या था नवाज शरीफ की पत्नी कहते हैं,"तो चलते हैं, हमें अपना घर दिखाओ."
प्रधानमंत्री का काफिला कैप्टन सफदर के घर के पास रुका. कैप्टन सफदर प्रधानमंत्री और उनकी पत्नी से पहले अपने घर पहुंचने के लिए कार से बाहर भागे और अपने माता-पिता को जानकारी दी. उनकी मां किसी बाबा की कब्र पर फातिहा पढ़ने गई थीं. उनके पिता, जो पढ़ाई के शौकीन और उर्दू शायर थे, अपनी लाइब्रेरी में बैठे एक किताब पढ़ रहे थे. पिताजी, प्रधानमंत्री और उनकी पत्नी आये हैं. कैप्टन सफदर के पिता इशाक मसरूर इतना सुनने के बाद हैरान रह गए और अपने घर से बाहर निकले. जल्दबाजी में वह उस किताब को अपने कमरे में भी रखना भूल गए. नवाज़ शरीफ से मिलते वक्त उनके हाथों में किताब मौजूद थी और हाथ की दो उंगलियां किताब के पन्नों के बीच में थीं. कैप्टन सफदर ने अपने पिता का परिचय नवाज शरीफ और उनकी पत्नी से कवाया.
इसी बीच सफदर का सेना का करियर खत्म होने वाला था और उन्हें अब सिविल सर्विस में जाना था और उनको ट्रेनिंग के लिए भी बुलाया जा रहा था. इस बारे में सफदर ने सफ़दर ने प्रधानमंत्री समेत अपने सभी सीनियर्स को बताया कि वह अब यहां से चले जाएंगे और सिविल सेवाओं में शामिल हो जाएंगे. उस समय प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने उन्हें यह कहकर रोका कि मैं चाहता हूं कि आप यहां मेरे साथ ड्यूटी करें. सफ़दर ने रुककर ऐसी व्यवस्था की कि वह अगले वर्ष यह ट्रेनिंग पूरी कर सकें.
सफ़दर प्रधानमंत्री के साथ काम करते रहे. सबसे बड़ी बेटी मरियम समेत प्रधानमंत्री के चार बच्चे, उस छोटी उम्र में प्रधानमंत्री के घर पर कप्तान को देखा करते थे. एक साल बीत गया और जब कैप्टन का सिविल सेवा प्रशिक्षण चरण फिर से शुरू हुआ, तो उन्होंने एक बार फिर प्रधानमंत्री को अपनी ड्यूटी के बारे में बताया.
प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उनकी पत्नी ट्रेन में लाहौर से इस्लामाबाद जा रहे थे. कैप्टन सफदर भी इसी ट्रेन में एक अलग डिब्बे में थे उन्हें बताया गया कि उन्हें प्रधानमंत्री ने बुलाया है. जिसके बाद वो प्रधानमंत्री के वाले डब्बे में गए. इस डिब्बे में प्रधानमंत्री के साथ उनकी पत्नी कुलसूम नवाज के अलावा उनके घर के एक पुराना नौकर नौकर सूफी बेग भी था.
यहां कुछ देर की बातचीत के बाद सफदर जाने को कहते हैं. इस पर नवाज शरीफ कहते हैं. आप अपनी नौकरी छोड़कर हमेशा के लिए हमारे साथ क्यों नहीं रहते? जवाब में सफदर कहते हैं कि मुझे अपने पिता से इजाजत लेनी होगी. सफदर के पिता अनुमति दे देते हैं और सफदर फिर से नवाज शरीफ के साथ आ जाते हैं. इस बार नवाज शरीफ के साथ आ जाने पर कैप्टन सफदर की जिंदगी की दिशा ही बदल जाती है.
एक सफदर के पिता कहते हैं, "सफदर, मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री का परिवार अपनी बेटी के लिए आपका रिश्ता मांग रहा है." इतना सुनने के बाद सफदर हैरान रह जाते हैं और कहते हैं कि मुझे ऐसा नहीं लगता अब्बाजी लेकिन यह कहीं और मत कहिएगा क्योंकि मेरी नौकरी भी जा सकती है. जवाब में सफदर के पिता कहते हैं कि बेगम कुलसुम ने आपकी मां हाज़िरा बीबी को फ़ोन करके आपके रिश्ते के लिए पूछा है. वह कहती है कि हमें आपका बेटा चाहिए.
इसके बाद दोनों परिवारों ने शादी की तैयारियां शुरू कर दीं और 25 दिसंबर 1992 को नवाज शरीफ के 42वें जन्मदिन के मौके पर मरियम और सफदर की शादी हो गई.
सफदर एक इंटरव्यू में कहते हैं कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरा और नवाज शरीफ साहब के परिवार में रिश्ते बन जाएंगे. वो कहते हैं कि मैंने मरियम को सिर्फ देखा था हालांकि कभी मुलाकात भी नहीं हुई थी. कैप्टन सफदर कहते हैं कि शादी के बाद बेगम कुलसुम नवाज़ (जिन्हें वह अब अमी जान कहते हैं) ने बताया कि मरियम के लिए पूंजीपतियों और राजनेताओं के घरानों से कई उम्मीदवार थे, लेकिन हम अमीर परिवारों की तलाश में नहीं थे, हम अच्छा चाहते थे और हम थे नेक लोगों की तलाश है, इसलिए हमने आपको चुना.