टेंशन में मोहम्मद यूनुस, बांग्लादेश की सेना में शुरू हुई बगावत! अब आगे क्या होगा?
Bangladesh News: बांग्लादेश की सेना, जो देश की स्थिरता के लिए उम्मीद का केंद्र मानी जाती थी, अब खुद विभाजन और गुटबाजी की शिकार हो गई है. सूत्रों के अनुसार, सेना में इस समय हालात नियंत्रण से बाहर नहीं हैं, लेकिन बगावत के आसार बढ़ते जा रहे हैं.
bangladesh News: बांग्लादेश के सबसे ताकतवर संस्थान, बांग्लादेशी सेना, में बड़ा संकट पैदा हो गया है. सेना के अंदर तीन अलग-अलग पावर सेंटर बन गए हैं, जिससे सेना के भविष्य पर सवाल उठने लगे हैं. राजनीतिक अस्थिरता के इस दौर में, जब शेख हसीना की सरकार के बाद सेना से स्थिरता की उम्मीद की जा रही थी, खुद सेना के भीतर गुटबाजी ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं.
सूत्रों के अनुसार, सेना में इस समय हालात नियंत्रण से बाहर नहीं हैं, लेकिन बगावत के आसार बढ़ते जा रहे हैं. अफवाह है कि फैजुर रहमान सेना प्रमुख वकार-उज-जमान को हटाने की साजिश में शामिल हो सकते हैं.
सेना के तीन पावर सेंटर कौन हैं?
बांग्लादेशी सेना में तीन पावर सेंटर उभर रहे हैं, जो सेना के अंदर गहरी खींचतान का कारण बन सकते हैं.
1. अवामी लीग समर्थक गुट: इस गुट का नेतृत्व जनरल मोहम्मद शाहीनुल हक कर रहे हैं। इन्हें नौंवी डिवीजन के शक्तिशाली मेजर जनरल मोहम्मद मोइन खान का समर्थन प्राप्त है। यह गुट अवामी लीग से प्रभावित माना जा रहा है.
2. इस्लामिक कट्टरपंथियों का गुट: दूसरा गुट लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद फैजुर रहमान के नेतृत्व में है। उन्हें कट्टरपंथी संगठन हिजबुत तहरीर के समर्थन वाले नेताओं का साथ मिला है. फैजुर रहमान पहले डीजीएफआई (सेना की खुफिया एजेंसी) के प्रमुख रह चुके हैं और उनके ऊपर राष्ट्रपति को हटाने की साजिश में शामिल होने के आरोप भी हैं.
3. मध्यामार्गी गुट: सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान, जो इस समय सेना पर नियंत्रण बनाए हुए हैं, खुद को मध्यामार्गी बताते हैं. हालांकि, इन दोनों गुटों की चुनौती उनके लिए बढ़ती जा रही है.
क्या हो सकता है आगे?
अगर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस पद छोड़ते हैं या ढाका से बाहर जाते हैं, तो सेना के भीतर स्थिति और बिगड़ सकती है. इस गुटबाजी का असर केवल सेना तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिरता पर भी गहरा प्रभाव पड़ेगा.