ब्रिटेन के दूसरे बड़े शहर में कचरे का ढेर, हड़ताल पर कर्मचारी, 17,000 टन कचरा जमा

यह विवाद दिसंबर 2024 में शुरू हुआ था. व्यापार समूह ने कचरा संग्रहकर्ताओं के वेतन में कटौती, ओवरटाइम पर प्रतिबंध और कचरा संग्रहण की भूमिका समाप्त करने के खिलाफ हड़ताल की घोषणा की थी. यूनाइट द यूनियन के सचिव शेरोन ग्राहम ने कहा कि बर्मिंघम परिषद इस विवाद को हल कर सकती थी, लेकिन वह पदावनतियों और वेतन कटौती की अपनी योजना को लागू करने पर अड़ी हुई है.

Suraj Mishra
Edited By: Suraj Mishra

ब्रिटेन के दूसरे सबसे बड़े शहर बर्मिंघम में सफाई कर्मचारियों की हड़ताल के कारण सड़क किनारे 17,000 टन से अधिक कूड़ा जमा हो गया है. इससे शहर में गंदगी के ढेर लग गए हैं. कचरा संग्रह डिब्बे और डंपस्टर से कूड़ा बाहर फैल गया है. बर्मिंघम नगर परिषद के नेता जॉन कॉटन ने कहा कि यह खेदजनक है कि हमें यह कदम उठाना पड़ा, लेकिन हम ऐसी स्थिति को बर्दाश्त नहीं कर सकते जो बर्मिंघम के समुदायों को नुकसान और संकट पहुंचा रही है. 

रोजगार की पेशकश

यह विवाद दिसंबर 2024 में शुरू हुआ, जब यूनाइट द यूनियन नामक व्यापार समूह ने घोषणा की कि वे कचरा संग्रहकर्ताओं के वेतन में कटौती, ओवरटाइम पर प्रतिबंध और परिषद द्वारा कचरा संग्रहण की भूमिका समाप्त किए जाने के विरोध में हड़ताल करेंगे. 28 मार्च को शहर ने एक बयान जारी किया जिसमें कहा गया कि सभी श्रमिकों को समान वेतन, चालक प्रशिक्षण और वैकल्पिक रोजगार की पेशकश की गई है. इस प्रस्ताव को शहर ने वित्तीय दायित्व के कारण सही ठहराया.

यूनाइट द यूनियन के सचिव शेरोन ग्राहम ने कहा कि बर्मिंघम परिषद इस विवाद को हल कर सकती थी, लेकिन वह पदावनतियों और वेतन कटौती की अपनी योजना को लागू करने पर अड़ी हुई है. इस विवाद के बाद से शहर ने कचरा उठाने के लिए ठेके पर काम करने वाले कर्मचारियों को काम पर रखा है, लेकिन यूनियन के सदस्यों ने हड़ताल जारी रखने के लिए कई बार मतदान किया है. धरना देने वाले कर्मचारियों ने ठेकेदारों को काम से रोक दिया.

राष्ट्रीय समर्थन की आवश्यकता

बर्मिंघम नगर परिषद ने कहा कि हमारे डिपो को प्रतिदिन धरने से अवरुद्ध किया जा रहा है, जिससे कचरा एकत्र करने के लिए हमारे वाहन नहीं निकल पा रहे हैं. वहीं, सफाई कर्मचारियों ने इस घोषणा को "हड़ताल तोड़ने" के बराबर बताया है. ब्रिटिश सरकार ने इस हड़ताल की जानकारी ली है. सामुदायिक मंत्री जिम मैकमोहन ने कहा कि सरकार इस स्थिति पर बारीकी से नज़र रख रही है और अगर स्थानीय नेताओं को राष्ट्रीय समर्थन की आवश्यकता महसूस होती है तो सरकार मदद देने के लिए तैयार है.

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01 April 2025, 06:47 PM IST

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