रूस ने किया कैंसर की वैक्सीन बनाने का दावा, अब विशेषज्ञों ने उठाए कई सवाल
रूस जल्द ही एक और वैक्सीन लाने जा रहा है, जी हां आपने सही सुना, जानकारी के मुताबिक ये पहली mRNA वैक्सीन है और दूसरी ऑन्कोलिटिक वायरोथेरेपी है. इस थेरेपी के तहत कैंसर कोशिकाओं को लक्षित करके लैब में संशोधित मानव वायरस से संक्रमित किया जाता है. इस थेरेपी के लिए बनाई जा रही वैक्सीन का नाम एंटरोमिक्स है.
Cancer vaccine: रूस ने कैंसर के इलाज के लिए एक वैक्सीन विकसित करने का दावा किया है, जिसे चिकित्सा जगत में एक बड़ी उपलब्धि बताया जा रहा है. गामालेया नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी के निदेशक अलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग के अनुसार, इस वैक्सीन ने प्री-क्लीनिकल परीक्षण में ट्यूमर के विकास को रोकने और मेटास्टेसिस को नियंत्रित करने में सफलता दिखाई है. उन्होंने कहा कि यह वैक्सीन 2025 की शुरुआत में रूसी नागरिकों को मुफ्त में उपलब्ध कराई जाएगी.
कृत्रिम बुद्धिमत्ता से तैयार होगा वैक्सीन
आपको बता दें कि गिंट्सबर्ग ने बताया कि रूस अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग करके व्यक्तिगत कैंसर वैक्सीन विकसित करने पर काम कर रहा है. एआई की मदद से वैक्सीन डिजाइनिंग में लगने वाला समय घटकर मात्र एक घंटे तक रह जाएगा. इस प्रक्रिया में 40,000 से 50,000 ट्यूमर अनुक्रमों का उपयोग किया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वैक्सीन प्रत्येक व्यक्ति के लिए अनुकूल हो.
कैसे काम करेगी वैक्सीन?
वहीं आपको बता दें कि रूसी वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि यह वैक्सीन mRNA तकनीक पर आधारित होगी. यह तकनीक कोविड-19 महामारी के दौरान प्रभावी साबित हुई थी. mRNA वैक्सीन शरीर में एक मैसेंजर RNA को पहुंचाकर कोशिकाओं को एक विशेष प्रोटीन बनाने का निर्देश देती है. यह प्रोटीन कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और उनके खिलाफ एंटीबॉडी बनाने में प्रतिरक्षा प्रणाली की मदद करता है.
भारतीय विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
भारतीय विशेषज्ञों ने रूस के इस दावे पर सावधानी बरतने की सलाह दी है. आर्टेमिस अस्पताल, गुरुग्राम के डॉ. गौरव दीक्षित ने कहा, ''अभी इस वैक्सीन के बारे में अधिक डेटा देखना आवश्यक है.''
दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट की डॉ. प्रज्ञा शुक्ला का कहना है, ''अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. सभी कैंसर के लिए एक ही वैक्सीन बनाना बेहद चुनौतीपूर्ण है.''
मेदांता अस्पताल के डॉ. सत्य प्रकाश यादव ने कहा, ''कैंसर वैक्सीन पर शोध पिछले 25 वर्षों से चल रहा है, लेकिन अभी तक कोई ठोस सफलता नहीं मिली है.''
वैज्ञानिक समुदाय की चिंताएं
बता दें कि वैश्विक विशेषज्ञों ने भी इसी तरह के सवाल उठाए हैं. आयरलैंड के ट्रिनिटी कॉलेज के प्रोफेसर किंग्स्टन मिल्स ने कहा, ''जब तक नैदानिक परीक्षणों का डेटा सार्वजनिक नहीं होता, तब तक इस दावे को संदेह की नजर से देखा जाएगा.''
क्या है भविष्य?
इसके अलावा आपको बता दें कि रूस के दावे ने कैंसर के टीकों को लेकर नई उम्मीदें जगाई हैं. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इस दिशा में अभी लंबा सफर तय करना बाकी है.