बिना किसी पद के सरकारी बैठकों की अध्यक्षता कर रहे हैं नवाज़ शरीफ, बेटी ने दिया ये जवाब
Nawaz Sharif: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री ने ख़ुद को बड़े पदों से अलग कर लिया है लेकिन उनकी अध्यक्षता करने की आदत नहीं छूट रही है.
Nawaz Sharif: हाल ही में चुनावों के बाद नए हुक्मरान ने सत्ता सँभाली है. पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ ने एक बार फिर से अपने भाई शहबाज़ शरीफ़ को देश का प्रधानमंत्री बनाया है. इसके अलाव अपनी बेटी मरियम नवाज़ को पंजाब राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर ज़िम्मेदारी दी है. नवाज शरीफ़ ने ख़ुद को पदों से अलग कर लिया है लेकिन ऐसा लग रहा है कि यह सिर्फ़ कथित तौर पर है. क्योंकि नवाज़ शरीफ का पाकिस्तानी सियासत में दखल पूरा है.
तीन बैठकों की अध्यक्षता की
हालाँकि उनका दखल ना होने का कोई मतलब भी नहीं बनता लेकिन आधिकारिक तौर पर वो सरकारी प्रोग्रामों की अध्यक्षता कर रहे हैं. जिस पर सवाल उठ रहे हैं. 8 फरवरी को आम चुनाव होने के बाद से लोगों की नज़रों से दूर रहने के बाद मुस्लिम लीग (नवाज) के प्रमुख नवाज़ शरीफ़ कल पंजाब सरकार की 3 प्रशासनिक बैठकों की अध्यक्षता करके सबके ध्यान का केंद्र बन गए.
नवाज शरीफ पर उठ रहे सवाल
डॉन अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, इस कदम पर कई तरफ से सवाल उठाए गए क्योंकि नवाज शरीफ के पास राज्य या केंद्रीय सरकार में कोई आधिकारिक पद नहीं है और वह आधिकारिक तौर पर सिर्फ नेशनल असेंबली के सदस्य हैं. मुख्यमंत्री कार्यालय में इन बैठकों के दौरान पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज अपने पिता के साथ बैठीं. इस पर सवाल उठ रहे हैं कि जब राज्य की मुखिया मरियम नवाज़ हैं तो नवाज़ शरीफ़ अध्यक्षता करने वाले कौन होते हैं? वो तो सिर्फ़ एक MP हैं.
रमजान के पैकेट पर भी शरीफ की फोटो
आम राय यह है कि प्रांत में कोई आधिकारिक पद नहीं होने के बावजूद सभी बड़े फैसले नवाज शरीफ ही करते हैं. उनकी बेटी और पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज ने इस राय को और मजबूत किया, जब उनसे पूछा गया कि जरूरतमंदों के बीच बांटे गए रमजान राहत पैकेज के बैग पर नवाज शरीफ का चेहरा क्यों चिपका हुआ है, तो मरियम नवाज ने जवाब में कहा कि 'क्योंकि यह नवाज शरीफ की सरकार है.'
पहले भी करते थे अध्यक्षता
हालांकि नवाज़ शरीफ़ इससे पहले भी पंजाब सरकार की मीटिंगों की अध्यक्षता करते थे. ये तब की बात है जब उनके छोटे भाई शहबाज शरीफ पंजाब के मुख्यमंत्री थे, लेकिन उस समय नवाज शरीफ खुद प्रधानमंत्री थे.
बहुमत ना मिलने से खुद को किया पीछे
आम चुनाव से पहले ऐसा जताया जा रहा था कि नवाज शरीफ चौथी बार प्रधानमंत्री पद संभालने जा रहे हैं. चुनाव तक नवाज शरीफ का प्रधानमंत्री बनना तय था, लेकिन ट्रेंड बदला और उनकी पार्टी मुस्लिम लीग चुनाव में कुछ ख़ास नहीं कर पाई है. जिसके बाद नवाज़ शरीफ़ पीछे हट गए और अपने छोटे भाई शाहबाज़ शरीफ़ को केंद्र में गठबंधन सरकार का नेतृत्व करने की अनुमति दे दी.