न सऊदी, न पाकिस्तान, यह मुस्लिम देश दे रहा है नमाज पर 'संयम' का संदेश
कुवैत सरकार ने ऊर्जा संकट से निपटने के लिए मस्जिदों में नमाज को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है. इस्लामिक अफेयर्स मंत्रालय ने इमामों और मुअज्जिनों से जोहर और अस्र की नमाज में इकामत को छोटा करने और नमाज़ को अनावश्यक रूप से लंबा न खींचने को कहा है. साथ ही, मस्जिदों में बिजली की कटौती और वुज़ू में पानी की बचत को लेकर भी सख्त निर्देश दिए गए हैं.

इस्लाम धर्म के पांच स्तंभों में से एक है ‘नमाज़’, जिसे दिन में पांच बार पढ़ना अनिवार्य माना जाता है. लेकिन अब एक मुस्लिम देश ने नमाज़ को लेकर एक चौंकाने वाली अपील की है. यह देश न तो सऊदी अरब है, न तुर्की, ईरान, पाकिस्तान, इंडोनेशिया या यूएई. यह फैसला लिया है खाड़ी देश कुवैत ने, जहां की सरकार ने हाल ही में मस्जिदों में बिजली और पानी की बचत के लिए कुछ सख्त निर्देश जारी किए हैं.
कुवैत की इस नई नीति का मकसद है ऊर्जा संकट से निपटना. सरकार ने मस्जिदों में अनावश्यक रूप से लंबी नमाज़ और वुज़ू के दौरान पानी की बर्बादी पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं. हालांकि कुछ लोग इस पर सवाल उठा रहे हैं, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि यह फैसला वक्त की जरूरत है.
कुवैत की मस्जिदों में नई पाबंदी
कुवैत की इस्लामिक अफेयर्स मंत्रालय ने हाल ही में एक सर्कुलर जारी किया है, जिसमें देशभर की मस्जिदों के इमामों और मुअज्जिनों को निर्देश दिया गया है कि वे ज़ोहर और अस्र की नमाज़ों में *इक़ामत* (नमाज़ शुरू करने की घोषणा) को छोटा करें और नमाज़ को अनावश्यक रूप से लंबा न खींचें. सर्कुलर में कहा गया है कि यह निर्देश ऊर्जा मंत्रालय से प्राप्त संदेश के आधार पर जारी किया गया है, जिसमें मस्जिदों में बिजली की कटौती को लेकर योजना बनाई गई है.
बिजली कटौती की टाइमिंग भी तय
ArabTimes Kuwait की रिपोर्ट के मुताबिक, “सर्कुलर नंबर 8 ऑफ 2024” में बताया गया है कि सभी छह गवर्नरेट्स की मस्जिदों में ज़ोहर की अज़ान के 30 मिनट बाद से लेकर अस्र की नमाज़ से 15 मिनट पहले तक बिजली कटौती की जाएगी. इसके अलावा, अस्र की नमाज के 30 मिनट बाद से शाम 5 बजे तक भी मस्जिदों में बिजली बंद रहेगी. इसका मकसद है ऊर्जा की बचत और बिजली संकट से निपटना.
वुजू में पानी की बर्बादी पर भी रोक
टीवी9 हिंदी की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने नमाज़ से पहले वुज़ू के दौरान होने वाली पानी की बर्बादी को भी गंभीरता से लिया है. मस्जिद प्रशासन को निर्देश दिया गया है कि वे अनावश्यक पानी खर्च को रोकने के लिए ज़रूरी कदम उठाएं. यह न सिर्फ पानी बचाने में मदद करेगा बल्कि मस्जिदों की साफ-सफाई और रखरखाव को भी बेहतर बनाएगा.
जनता से सहयोग की अपील
कुवैत सरकार ने देशवासियों से अपील की है कि वे इन नए दिशा-निर्देशों का पालन करें और ऊर्जा संकट से निपटने में प्रशासन का साथ दें. हालांकि कुछ धार्मिक वर्गों ने इस पर आपत्ति जताई है, लेकिन सरकार का कहना है कि यह फैसला मौजूदा हालात को देखते हुए बेहद जरूरी था.
क्या यह फैसला मिसाल बनेगा?
कुवैत का यह कदम इस बात की ओर इशारा करता है कि अब धार्मिक गतिविधियों में भी व्यावहारिकता को तवज्जो दी जा रही है. देखना होगा कि क्या बाकी मुस्लिम देश भी इसी राह पर चलते हैं या नहीं.