ताश के पत्तों की तरह कैसे बिखर गया था नेपाल का राजपरिवार, 9 लोगों की हत्या और लंदन से कनेक्शन?
नेपाल का शाही परिवार 1 जून 2001 की रात ताश के पत्तों की तरह बिखर गया, जब काठमांडू ने नारायणहिटी महल में क्रूर हत्याकांड हुआ. इस घटना में तत्कालीन राजा, रानी समेत 9 शाही सदस्य मारे गए. आरोप युवराज दीपेंद्र पर लगा जिन्होंने खुद को भी गोली मार ली थी. अब फिर नेपाल में राजाशाही की बहाली की मांग को लेकर प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. आईए जानते हैं पूरा मामला

इंटरनेशनल: नेपाल में बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. लोग राजशाही की बहाली की मांग कर रहे हैं. हालात यहां तक खराब हो गए हैं कि शुक्रवार को हुए प्रदर्शनों में दो लोगों की मौत हो गई, जबकि सरकारी और निजी संपत्तियों को नुकसान भी पहुंचा है. पुलिस ने दंगे भड़काने के आरोप में 105 लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के उपाध्यक्ष रवींद्र मिश्रा और महासचिव धवल शमशेर राणा सहित कई नेता शामिल हैं.
नेपाल में राजशाही का काला अध्याय
नेपाल में राजशाही का इतिहास विवादों से भरा रहा है। 1 जून 2001 को देश के शाही परिवार का भीषण नरसंहार हुआ था, जिसने नेपाल की राजनीति को हिला कर रख दिया था। युवराज दीपेंद्र ने अपने माता-पिता, बहन और कई अन्य शाही सदस्यों की गोली मारकर हत्या कर दी थी और बाद में खुद को भी गोली मार ली थी। इस घटना के बाद नेपाल में राजतंत्र की नींव कमजोर पड़ गई।
लंदन कनेक्शन और पारिवारिक मतभेद
युवराज दीपेंद्र, इंग्लैंड के ईटन कॉलेज में पढ़ाई कर चुके थे और नेपाल लौटने के बाद कई राजनीतिक बदलावों की योजना बना रहे थे। उन्होंने नेपाल की राजकुमारी देवयानी राणा से शादी करने की इच्छा जताई थी, लेकिन उनके माता-पिता इस रिश्ते के खिलाफ थे। यह मतभेद इतना गहरा गया कि आखिरकार शाही परिवार की त्रासदी का कारण बन गया।
नेपाल में बढ़ती राजनीतिक अस्थिरता
पतन के बाद नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ी. 2008 में नेपाल को गणतंत्र घोषित कर दिया गया। राजशाही का औपचारिक अंत हो गया. हालांकि, मौजूद विरोध प्रदर्शनों से संकेत मिलता है कि नेपाल के कुछ लाग फिर से राजतंत्र की वापसी चाहते हैं. यह आंदोलन क्या राजनीतिक अस्थिरता को और बढ़ाएगा या नेपाल को एक नया रास्ता दिखाएगा. यह देखना बाकी होगा.