सऊदी अरब में मृत्युदंड देने का रिकार्ड , 2024 में अब तक 274 लोगों को दी गई फांसी
सऊदी अरब में मृत्युदंड के मामलों में तेज़ी से वृद्धि देखी जा रही है, खासतौर पर नशीली दवाओं से जुड़े अपराधों में यहां कठोर सजा दी जाती है. यह कठोर सज़ा मानवाधिकार संगठनों की आलोचना का कारण बन रही है, जो इसे विदेशी नागरिकों के अधिकारों का हनन मानते हैं. इस नीति ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ा दी है, जहां मौत की सज़ा को लेकर विविध दृष्टिकोण और प्रभाव देखे जा रहे हैं.
इंटरनेशनल न्यूज. सऊदी अरब ने इस साल 274 लोगों को मृत्युदंड दिया है, जिसमें 101 विदेशी नागरिक शामिल हैं. समाचार एजेंसी एएफ़पी की रिपोर्ट के अनुसार, यह आंकड़ा पिछले वर्षों की तुलना में तीन गुना अधिक है. 2022 और 2023 में क्रमशः 34-34 लोगों को ही मौत की सज़ा दी गई थी. 2022 में नशीली दवाओं के अपराधियों पर मृत्युदंड की रोक हटाने के बाद, इस साल ऐसे मामलों में सज़ा का अनुपात काफी बढ़ा है. 92 दोषियों को नशीली दवाओं के अपराध में मौत की सज़ा दी गई, जिनमें 69 विदेशी नागरिक थे. पाकिस्तान, यमन, सीरिया और अन्य देशों से आए लोगों में 101 विदेशी नागरिक इस सज़ा का सामना कर चुके हैं. इनमें तीन भारतीय नागरिक भी शामिल थे।
'अमानवीय और घृणित सज़ा'
मानवाधिकार संगठनों जैसे एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच ने सऊदी अरब के इस रवैये की कड़ी आलोचना की है. सितंबर में एमनेस्टी के महासचिव एग्नेस कलामार्ड ने इसे "अमानवीय और घृणित सज़ा" बताते हुए चिंता जताई. उन्होंने कहा, "सऊदी अरब राजनीतिक असहमति और नशीली दवाओं से जुड़े अपराधों में मौत की सज़ा का दुरुपयोग कर रहा है. ह्यूमन राइट्स वॉच ने एक साझा बयान में कहा कि 2024 के पहले नौ महीनों में 200 से अधिक मृत्युदंड दिए गए, जो पिछले तीन दशकों में सबसे अधिक हैं.
विदेशी नागरिकों के अधिकारों का हनन
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के अनुसार, विदेशी नागरिकों के मामलों में निष्पक्ष सुनवाई नहीं होती है. उन्हें कानूनी दस्तावेज़ तक नहीं दिए जाते, जिससे वे खुद का बचाव नहीं कर पाते. सऊदी अरब में विदेशी अभियुक्तों को सबसे "कमज़ोर वर्ग" माना जाता है. ईएसओएचआर के प्रवक्ता हाजी ने कहा कि विदेशी नागरिक अक्सर बड़े ड्रग डीलरों के शिकार बनते हैं और उन्हें अपने अधिकारों के उल्लंघन का सामना करना पड़ता है.
112 देशों ने कर दिया मृत्यु दंड समाप्त
एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार, सऊदी अरब, चीन और ईरान के बाद मृत्युदंड देने में तीसरे स्थान पर है. 2023 में, ईरान में 74% और सऊदी अरब में 15% मामले रिपोर्ट हुए. वहीं, दुनिया के 112 देशों ने मृत्यु दंड को समाप्त कर दिया है.
क्या मृत्युदंड से अपराध रुकते हैं?
संयुक्त राष्ट्र के एक सर्वे के अनुसार, सज़ा-ए-मौत का अपराध रोकने में कोई ठोस प्रभाव नहीं पड़ा है. विशेषज्ञों का मानना है कि अपराध को रोकने के लिए पकड़े जाने की संभावना सबसे प्रभावी उपाय है, न कि मृत्युदंड. सऊदी अरब में मृत्युदंड का बढ़ता आंकड़ा अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के लिए गंभीर चुनौती बन गया है. संगठनों ने सऊदी सरकार से तुरंत इस पर रोक लगाने और अभियुक्तों को निष्पक्ष सुनवाई देने की मांग की है।