Bangladesh: बांग्लादेश में आज लेंगे नवनिर्वाचित सांसद शपथ, पांचवी बार पीएम बनी शेख हसीना की पार्टी को मिली 223 सीटों पर जीत
Bangladesh General Election 2024: बांग्लादेश में चुनाव संपन्न होने के बाद नवनिर्वाचित सांसदों की शपथ ग्रहण समारोह का कार्य तेजी से हो रहा है, एक दिन बाद कैबिनेट मंत्रियों भी शपथ लेंगे.
Bangladesh General Election 2024: बांग्लादेश में 7 जनवरी को संसदीय चुनाव के लिए मतदान किया गया था, इसके बाद सत्ताधारी पार्टी अवामी लीग को 300 सीटों वाली संसद में से दो-तिहाई सीटें जीतकर सत्ता वापसी की राह आसान हो गई है. इसी बीच आज नवनिर्वाचित सांसद शपथ लेने के बाद एक दिन बाद (गुरूवार) कैबिनेट मंत्रियों को शपथ दिलाई जाएगी. राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन राष्ट्रपति भवन में सभी कैबिनेट मंत्रियों को शपथ दिलाएंगे. वहीं, नवनिर्वाचित सांसदों को जातीय संसद में शपथ दिलाई जाएगी.
राजपत्र जारी होने के बाद सांसदों को लेनी पड़ती है शपथ
आवामी पार्टी लीग की अध्यक्ष और पीएम शेख हसीना का बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनना तय माना जा रहा है, इसका प्रमुख कारण है कि जातीय संसद में शपथ लेने के बाद नई संसदीय समिति द्वारा पद का चुनाव करेगी. मुख्य चुनाव आयुक्त नूर-ए-आलम चौधरी ने कहा कि मंगलवार को वह नतीजों को राजपत्र पर जारी करेंगे. राजपत्र में अधिसूचना जारी होने के बाद सांसदों को शपथ लेना अनिवार्य होता है.
आवामी लीग ने जीती 223 सीटें
प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व में पार्टी ने 223 सीटों पर जीत दर्ज की है, जातीय पार्टी ने 11 सीटें, वर्कर्स पार्टी, बांग्लादेश कल्याण पार्टी और जातीय समाजतांत्रिक दल एक-एक और निर्दलीय उम्मीदवारों को मिली 61 सीटें. साथ ही अभी दो सीटों पर परिणाण घोषित नहीं किए गए हैं. अमेरिका, ब्रिटेन-यूएन ने बांग्लादेश चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए हैं. अमेरिका ने सोमवार को बयान जारी कर कहा कि विपक्षी सांसदों और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर चुनाव कराना बेहद चिंतनीय है.
विपक्षी पार्टियों ने नहीं लिया चुनाव में हिस्सा
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर तुर्क ने बांग्लादेश की सरकार पर मानवाधिकारों के उल्लंघन करने का आरोप लगाया है, इसके साथ ही लोकतंत्र की बेहतरी के लिए देश की प्रतिबद्धता को दोबारा दोहराने के लिए आह्वान किया है. साथ ही ब्रिटेन ने भी बांग्लादेश में 12वां संसदीय चुनाव की निष्पक्षता और स्वतंत्र चुनाव को लेकर सवाल खड़े किए हैं. चुनाव में विपक्षी पार्टियों के चुनाव में हिस्सा नहीं लेने के कारण देश के लोगों के पास कोई विकल्प नहीं बचा था.