रूस-यूक्रेन युद्ध में उतरे उत्तर कोरियाई सैनिक: वफादारी या मजबूरी?
International news: उत्तर कोरिया के सैनिकों का अनुभव भुखमरी और कुपोषण से भरा रहा है, खासकर 'स्टॉर्म कॉर्प्स' के जवानों को, जिन्हें पर्याप्त भोजन और आधुनिक युद्ध का अनुभव नहीं मिलता. रूस-यूक्रेन युद्ध में उत्तर कोरिया ने कुपोषित और मानसिक रूप से प्रशिक्षित सैनिक भेजे हैं, जो भाषा की समस्या और कठिन परिस्थितियों के बावजूद संघर्ष कर रहे हैं.
International news: उत्तर कोरिया की सेना में सेवाएं दे चुके हानेउल का अनुभव भुखमरी और कुपोषण से भरा रहा है. उन्होंने बताया कि सेना में पहले महीने में उनका वजन 10 किलो तक कम हो गया था, क्योंकि खाने में सिर्फ मक्का और सड़ी हुई पत्तागोभी मिलती थी. तीन महीने की ट्रेनिंग के बाद पूरी बटालियन कुपोषण का शिकार हो गई.
चोरी और खराब हालात
जब हानेउल की बटालियन को दक्षिण कोरिया सीमा पर तैनात किया गया, तब मक्के की जगह चावल दिए जाने लगे. लेकिन चावल या तो चोरी हो जाता या रेत से खराब हो जाता. इसके बावजूद उनकी यूनिट को अन्य सैनिकों की तुलना में ज्यादा खाना मिलता, ताकि वे दक्षिण कोरिया भागने का विचार ना करें.
जान की बाजी लगाकर सीमा पार
2012 में हानेउल ने जान की बाजी लगाकर डिमिलिटराइज्ड ज़ोन पार किया. वह बताते हैं कि सेना में अपने कार्यकाल में उन्होंने सिर्फ तीन बार गोलियां चलाई.
रूस में उत्तर कोरियाई सैनिक
उत्तर कोरिया ने रूस के कुर्स्क इलाके में यूक्रेन के खिलाफ लड़ाई के लिए कथित तौर पर 11,000 सैनिक भेजे हैं. इनमें से अधिकतर सैनिक उत्तर कोरिया की विशेष यूनिट 'स्टॉर्म कॉर्प्स' से हैं. हालांकि, ये सैनिक आधुनिक युद्ध का अनुभव नहीं रखते और कुपोषण का शिकार हैं.
स्टॉर्म कॉर्प्स में केवल सबसे फिट और लंबे सैनिकों को चुना जाता है. उन्हें मार्शल आर्ट और चाकू फेंकने की ट्रेनिंग दी जाती है. लेकिन पर्याप्त भोजन न मिलने की वजह से ये सैनिक कमजोर होते हैं.
भाषा और तालमेल की समस्या
भाषा की असमानता ने रूस और उत्तर कोरिया के सैनिकों के बीच तालमेल की कमी पैदा कर दी. हाल ही में, उत्तर कोरियाई सैनिकों ने गलती से रूसी बटालियन पर हमला कर दिया, जिसमें आठ सैनिक मारे गए.
सरकार के प्रति वफादारी
उत्तर कोरियाई सैनिक मजदूरी और खेती करने वाले परिवारों से आते हैं. वे सरकार के प्रति वफादार होते हैं और बिना सवाल उठाए आदेशों का पालन करते हैं. उनके मानसिक प्रशिक्षण के लिए हर दिन "ब्रेनवाशिंग" सेशन होते हैं.
सैनिकों का संघर्ष
कुछ सैनिक युद्ध में तैनाती को अपने करियर का मौका मानते हैं. वहीं, कुछ पहली बार विदेश में जीवन जीने का अवसर देखकर प्रेरित होते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तर कोरियाई सैनिक रूसी सैनिकों की तुलना में ज्यादा लड़ने के इच्छुक हैं.
भले ही इन सैनिकों को मरने के लिए भेजा जा रहा हो, लेकिन उनकी मानसिक मजबूती और वफादारी उन्हें युद्ध के मैदान में टिकने में मदद कर सकती है. उत्तर कोरिया की दुर्दशा से लड़ने के बावजूद, सैनिक अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार रहते हैं.