भारत-चीन सीमा को लेकर NSA अजीत डोभाल का चीन के राजनयिक को कड़ा संदेश, कहा- भरोसा टूटा है
NSA Ajit Doval: जोहान्सबर्ग में फ्रेंड्स ऑफ ब्रिक्स की बैठक में NSA अजित डोभाल ने चीनी राजनयिक वांग यी से कहा कि 2020 के बाद भारत-चीन सीमा की वास्तविक स्थिति ने दोनों देशों के बीच संबंधों के सार्वजनकि और राजनीतिक आधार को कमजोर किया है.
हाइलाइट
- फ्रेंड्स ऑफ ब्रिक्स की बैठक में शामिल हुए अजित डोवाल
- अजित डोवाल ने चीन के राजनयिक को दिया कड़ा संदेश
- भारत-चीन संबंधों को मजबूत करने पर हुई चर्चा
NSA Ajit Doval On India-China Border: सोमवार को दक्षिण अफ्रिका के जोहान्सबर्ग में फ्रेंड्स ऑफ ब्रिक्स ( Friends Of Brics) की बैठक हुई. इस वार्ता में भारत की ओर से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA)अजित डोभाल ने हिस्सा लिया. वार्ता के दौरान उन्होंने चीनी राजनयिक वांग यी से कहा कि 2020 के बाद भारत-चीन सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी भारत की वास्तविक सीमा पर स्थिति ने रणनीतिक विश्वास और दोनों देशों के बीच संबंधों के सार्वजनकि और राजनीतिक आधार को कमजोर कर दिया है.
वांग यी चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य और सीपीसी विदेश मामलों के आयोग के निदेशक हैं. वो और डोभाल सीमा वार्ता पर अपने देश के विशेष प्रतिनिधि हैं. अहम बात ये है कि भारत और चीन के बीच सीमा पर आखिरी विशेष प्रतिनिधि स्तर की बातचीत 2019 में हुई थी.
सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बहाल करने पर जोर
सूत्रों के अनुसार इस बैठक में NSA डोभाल ने समस्या को पूरी तरह से हल करने और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बहाल करने के लिए निरंतर प्रयासों के महत्व पर जोर दिया. ताकि दोनों देशों के संबंधों में सामान्य स्थिति में आने वाली समस्याओं का समाधान किया जा सके.
चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार वांग यी ने कहा कि दोनों पक्षों को रणनीतिक आपसी विश्वास बढ़ाना चाहिए, आम सहमति और सहयोग पर ध्यान देना चाहिए और साथ ही साथ सभी रुकावटों को दूर करना चाहिए. उन्होंने दोनों देशों के संबंधों को जल्द से जल्द मजबूत करने और स्थिर विकास की पटरी पर लाने की भी बात कही.
भारत-चीन का संबंध दुनिया के लिए महत्वपूर्ण
गौरतलब है कि इस बातचीत के दौरान दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि भारत-चीन द्विपक्षीय संबंध न केवल दोनों देशों के लिए, बल्कि दुनिया के लिए भी महत्वपूर्ण है. यह बैठक विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में वांग से मुलाकात के कुछ दिनों बाद हुई और उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति से संबंधित विषयों पर चर्चा की.
बता दें कि भारत तीन साल से अधिक समय से चीन के साथ सैन्य गतिरोध में फंसा हुआ है, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इसे अपने राजनयिक करियर की सबसे जटिल चुनौती भी बताया है.